सरपंच हर पल कोई न कोई परेशानी रोशनी के लिए खड़ा करता ही रहता है लेकिन हर बार रोशनी अपनी बहादुरी से हर समस्या का समाधान निकाल कर बड़ी होशियारी से वह इस लड़ाई को जारी रखती है रोशनी खुल्लम-खुल्ला सरपंच को चैलेंज करती है इस गांव की औरतों की हालत तो सुधार के ही रहेगी आपको जो करना है वह कर लीजिए
रोशनी डंके की चोट पर ऐलान करतीं हैं सरपंच जी और गांव के सभी मर्द अब हिंसा पर उतर आते हैं सरपंच जी तो अब हद ही कर दिए उन्होंने रोशनी पर धारदार हथियार से प्रहार करते हैं तभी मंजरी आगे आकर उनके हाथ को पकड़ लिया उसके साथ गांव की सभी औरतें सरपंच जी पर पलटवार करती है तभी रोशनी ने उन लोगों को समझाया हमें नफरत से कुछ हासिल नहीं करना है हम प्यार से इन लोगों के सोच को बदलेंगे आप सभी अभी शांत हो जाइए इसी तरह से रोशनी गांव की औरतों को समझा बूझकर शांत करती है और अब गांव में चुनाव होने वाला होता है प्रधान पद के लिए इस बार रोशनी ने एक सभा बुलाई जिम गांव की सारी औरतें होती हैं रोशनी रहती है किसी भी एक औरत को आगे आकर सरपंच के चुनाव के लिए नामांकन करना होगा सारी औरतें एक दूसरे को देखते हैं पर कोई नामांकन के लिए आगे नहीं आती है अंत में दिव्या की मां मंजरी चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो जाती है गांव में ऐसा पहली बार हुआ जब प्रधान पद की उम्मीदवार कोई औरत थी यह बात गांव के आदमियों को अच्छी नहीं लग रही थी वह रोशनी के इस फैसले का कड़ा विरोध करते हैं फिर भी रोशनी उन लोगों के इस विरोध का सामना बड़े साहसपुरवक करती है प्रचार जोर से चल रहा था जब महिलाओं का दल प्रचार के लिए निकलता था तो गांव की कुछ आदमी सरपंच के साथ मिलकर उनका खूब मजाक उड़ाते थे उनके तरह-तरह की तंज कसते थे इतना ही नहीं कभी-कभी तो इंट पत्थर भी बरसते थे फिर भी रोशनी गांव में हर किसी से औरत हो या आदमी दिव्या की मां मंजरी के लिए वोट मांगती है दोनों दल पूरी तरीके से पूरे जोर-शोर से अपने चुनाव का प्रचार कर रहा था अंततः वह दिन आ जाता है जब वोट पड़ रहा होता है वोट पड़ने के बाद सरपंच की पूरी तरीके से खुश थे उन्हें लगता था उनकी जीत भारी मतों से हो रही है क्योंकि उन्होंने वोटिंग के दिन गांव की बहुत सारी औरतों को अगवा कर लिए थे जिससे कि वह वोट देने पहुंच ही न सकी थी अपनी जीत की जश्न में सरपंच साहब काउंटिंग से पहले व्यस्त हो चुकचुके थे लेकिन जब काउंटिंग होती है तो परिणाम घोषित होता है कि रोशनी की मां मंजरी भारी मतों से यह चुनाव जीत चुकी है अपने हार का सदमा सरपंच जी बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और इस सदमा को भुलाने को के लिए शराब पीना स्टार्ट करते हैं शराब के नशे में चूर सरपंच जी जब घर आ रहे होते हैं तो गांव के ही एक कुएं में पैर फिसल जाने से वह गिर जाते हैं सरपंच जी को तैरना नहीं आता है वह बहुत हाथ पैर मारते हैं लेकिन कुएं से बाहर नहीं निकाल पाते हैं
बचाओ बचाओ चिल्लाते हैं बचाओ बचाओ की आवाज रोशनी को सुनाई देती है और वह कुएं के पास जाकर देखते हैं तू सरपंच साहब डूब रहे होते हैं वह तड़के से पास वाले घर से रस्सी मंगवाती है और कुएं में डाल देती है सरपंच साहब से कहती है सरपंच साहब कृपया करके आप इस रस्सी को पकड़ लीजिए मैं आपको कुए से बाहर निकलने की कोशिश कर रही हूं सरपंच जी उसे रस्सी को पकड़ते हैं रोशनी उसे रस्सी को खींचने लगते ऊपर की तरफ रोशनी बहुत जोर लगाती है लेकिन वह अकेली नहीं खींच पाती है तो वह पास की औरतों को अपना मदद करने के लिए बुलाती हैं लेकिन वह औरतें कहती हैं यह हर बार आप पर आक्रमण करवाए फिर भी आप क्यों बचना चाहती हैं डूबने दीजिए रोशनी कहती है पहले आप हमारी मदद कीजिए इन्हें बचाना हमारा कर्तव्य है और अपनी कर्तव्य से पीछे भागना कायरता
हमारी लड़ाई मात्र इतनी सी है अन्याय के खिलाफ है हमारा मकसद गांव की औरतों को उनका हक दिलाना है इससे ज्यादा कुछ नहीं किसी से दुश्मनी मोल लेना नहीं है इंसानियत के रिश्ते के नाते आप इन्हें निकालने में मदद करें
जैसा इन लोगों ने किया अगर वैसा आप लोग भी करेंगे तो इनमें और आप में फर्क ही क्या रह जाएगा रोशनी की आवाज सुन गांव की हूं वह औरतें रोशनी पकड़ रस्सी पड़कर ऊपर की तरफ खींचती हैं और सरपंच साहब को बचा लेती हैं सरपंच साहब को कुएं से बाहर निकाल रोशनी उनको अस्पताल ले जाती है उनका उपचार करवाती है देखरेख करती है और सरपंच साहब ठीक हो चुके होते हैं सरपंच साहब जब ठीक हो जाते हैं तो रोशनी के सामने जाकर रोशनी से माफी मांगती हुए कहते हैं
हो सके तो हमें माफ कर देना हम कितने गलत थे औरतों की महत्व को हम नहीं समझ सके पर आज एहसास हुआ औरत और आदमी में कोई फर्क नहीं है जो काम आदमी कर सकते हैं वह औरतें भी कर सकती हैं
आज से हमारे गांव की हर लड़कियों को उतना ही अधिकार मिलेगा जितना की इस गांव से लड़कों को
औरतों को उतना ही अधिकार मिलेगा जितना कि इस गांव के आदमियों को
औरत आदमी लड़की ,लड़के में कोई भेद नहीं किया जाएगा आपने हमारी आंखें खोल दी हमें एक नई राह दिखाई प्रगति की राह इसके लिए हम आपके कर्जदार रहेंगे सरपंच साहब की यह बातें सुनकर रोशनी को बहुत खुशी होती है और वह मंद मंद मुस्कुराती है और सरपंच साहब से कहती है हमारा मकसद आज पूरा हो गया अब मैं आराम से इस गांव से चली जाऊंगी सरपंच जी कहते हैं ठीक है चली जाइएगा लेकिन आज नहीं कल रोशनी पूछती है क्योंक्योंसरपंच साहब कल तक तो आप चाहते थे कि मैं इस गांव से चली जाऊं लेकिन जब मैं आज खुद जा रही हूं तो आप कह रहे हैं आज तक जाऊं कल जाऊं
ठीक है आप कह रहे हैं तो मैं आज रुक जाती हूं
यह बात सुनकर सरपंच साहब को खुशी होती है वह एक सभा बुलाते हैं जिस गांव के सारे आदमी और औरत रहते हैं यह सभा रोशनी के सम्मान में बुलाई जाती है इस सभा में रोशनी को भी बुलाया जाता है सरपंच जी मंच पर खड़े होकर सब को संबोधित करते हैं भाइयों और बहनों हम लोगों ने गांव के इन औरतों पर बहुत जुल्म किया हमें लगता था और महमहिलाए चुलह चौक ही कर सकती हैं इससे ज्यादा इनकी कोई जिंदगी नहीं है हम इसी सोच में पड़ गए थे लेकिन हम गलत थे आज हमें एहसास हुआ और थी वह सब कर सकती है जो एक आदमी कर सकता है मुझे तो एहसास चुका है लेकिन मैं चाहता हूं इस गांव की हर आदमी को इस चीज का एहसास हो जिनको जिनको अब भी लगता है औरतें सिर्फ चूल्हा चौका ही कर सकती हैं वह खड़े होकर बता सकते हैं
वहां उपस्थित कोई भी आदमी खड़ा नहीं होता है सरपंच साहब की बातों में सभी ने सहमति जताई आज की इस सभा में सरपंच जी का मुख्य उद्देश्य रोशनी का सम्मान करना था सरपंच जी रोशनी को मंच पर बुलाते हैं उस पर फूल माला बरसाते हैं और उसके सर पर मुकुट पहनाते हैं
मुकुट पहनाते हुए रोशनी की बहादुरी का परिचय पुरे गांव वासियों से कराते हैं
और अंत में वह इस गांव की नई महिला प्रधान मंजरी को भी मंच पर बुलाते हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि वह रोशनी को रोशनी के सम्मान में माला भेंट करें मंजरी रोशनी को माला भेट करती है रोशनी की चरण स्पर्श करती है और उनका धन्यवाद करती हुई रहती है आपने तो हम लोगों का जीवनी बदल दिया हम लोग को यह खुशी आपकी वजह से मिली है इसके लिए हम हमेशा आपके आभारी रहेंगे अगर आप जैसी लोग हो तो कुछ भी करना असंभव नहीं है
वाकई आप एक बहादुर लड़की है रोशनी खुशी खुशी इस गांव से विदा लेती है और जाने लगी तभी दिव्या कहती है रोशनी दिली मैं सबसे अच्छी डांसर बनूंगी आपने कहा था
मुझे डांसर बनना है दीदी
रोशनी हंसते हुए दिव्या को गोद में उठाती है कहती है जरुर अब तो कोई रोकने वाला भी नहीं है सब आपका तरक्की चाहते हैं क्यों सरपंच जी
सब हंसते हैं रोशनी प्रमोद माधुरी चाची और दिव्या सब सबको अलविदा कहते हुए कार में बैठ जाते है
क्रमशः