अतः रोशनी बहुत उदास होती है लेकिन वह कहती है कि मेरे परिवार वाले एक दिन मुझसे जरूर मिलेंगे
मैं उन्हें ढूंढ लूंगी कहीं भी हो मैं उन्हें जरूर ढूंढ दूंगी
केशव चाचा भी कहते हैं हिम्मत रखो रोशनी तुम्हारे परिवार वाले तुझे जरूर मिलेंगे
केशव चाचा कहते हैं बेटी इस तरह उदास होने से क्या होगा तुम्हें अपने लिए अब सोचना चाहिए तुम्हें अब अपने आगे की जिंदगी के लिए सोचना चाहिए
तुम्हें अब शादी कर लेना चाहिए मेरी नजर में एक लड़का है जो अच्छे खानदान से है तू उससे शादी कर ले रोशनी
रोशनी कहती है नहीं कि चाचा जब तक मेरे पिता और घरवाले नहीं मिल जाते तब तक मैं शादी नहीं कर सकती
मेरे पिताजी हमेशा कहते थे कि वह मेरा कन्यादान बड़ी धूमधाम से करेंगे
मैं उनकी यह ख्वाहिश अधूरी नहीं छोड़ सकती कि चाचा प्लीज मुझे अपने फैमिली को ढूंढ लेने दीजिए
केशव चाचा रोशनी की जज्बातों की कदर करते हैं और चुप हो जाते हैं
कहते हैं ठीक है रोशनी जैसा तू उचित समझे मैं तुझे दबाव नहीं डालूंगा
बल्कि तो तुम्हारी मदद करूंगा तुम्हारे परिवार को ढूंढने में बहुत दिन बीत जाता है रोशनी बहुत ढुढती है पर उसके परिवार वाले नहीं मिलते हैं
रोशनी अखबार में भी इखतहार देती है फिर भी कोई अता पता नहीं मिलता
देख एक बार फिर चाचा उसे कहते हैं रोशनी अब तू शादी कर ले अब तुम्हारे परिवार वाले शायद कभी नहीं मिले मैं भी तो तेरी परिवार जैसा हूं ना मैं करूंगा तेरा कन्यादान क्या यह हक तू मुझे नहीं देगी क्या तुम मुझे अपना नहीं समझती रोशनी मुझे तुम्हारी बड़ी चिंता हो रही है रोशनी कुछ बोल ना सकी वह चुप रही और आधे मन से हामी भर देती है
फिर भी उसका मन नहीं मानता है लेकिन वह क्या करें वह मजबूर थी कल्पना और केशव चाचा मिलकर उसकी शादी की पूरी तैयारियां करते हैं और सगाई का दिन आ जाता है उसकी सगाई के लिए सजावट बड़ी धूमधाम से की गई थी शहर के बड़ी-बड़ी लोग आए थे मेहमान के तौर पर
और लडके वालों की तरफ से डांस मंडली भी आई थी और खाने का भी व्यवस्था किया गया था रिंकी रोशनी की शादी में खाना बनाने की तौर पर आई थी
उसे खाना बनाते हुए देख रोशनी का ह्रदय द्रवित हो जाता है
और वह दौड़ती हुई जाती है उसे गले से लगा लेती है रिंकी कहती है तू कौन है मुझे गले क्यों लगा रही है दूर हट जा मेरी जिंदगी से तुम्हारी वजह से मेरी जिंदगी बेकार हो गई
रोशनी फिर बड़ी प्यार से पूछती है रिंकी मैं तुम्हारी बड़ी बहन रोशनी हूं क्या तुमने मुझे नहीं पहचाना लेकिन तुम यहां क्यों आई हो कैसी आई हो क्या रोहित वक्त में पैसे नहीं देता
तुम खाना क्यों बना रही हो रिंकी के आंखों में आंखों में आंसू आ गए वह कुछ बोल नहीं सकी और रोशनी की गले से लिपट कर जोर जोर से रोने लगी कहने लगी रोशनी दीदी मुझे माफ कर दो मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई
यह तो अब मेरा काम ही हो गया मैं लोगों के घर में झाड़ू पोछा बर्तन करती हूं इतना ही नहीं रोहित वह मुझे आए दिन मारता पीटता है
मेरे साथ बहुत बुरा बर्ताव करता है यह सुनकर रोशनी बहुत दुखी होती है और कहती है कि तुझे अब यह जुर्म नहीं सहना होगा रिंकी
तेरी बहन है ना वह कुछ ना कुछ जरूर करेगी तू शांत हो जाए
और बता मां कैसी है पापा कहां है
क्या तुझे उनका पता है और आलोक कैसा है वह क्या कर रहा है क्या उसे यह सब पता है
रिंकी कहती है मां पापा का पता है
आलोक भैया जब से आप ने घर छोड़ा कभी घर आए ही नहीं उनका पता नहीं है