ढूंढते ढूंढते रोशनी एक दिन अहमदाबाद पहुंच जाती है अहमदाबाद की एक स्टील कंपनी में उसका भाई काम कर रहा होता है
अब वह अपने भाई आलोक को देखती हैं और दौड़ते दौड़ते उसके पास जाती है पूछती है भाई तू कैसा है इतने दिनों से तू घर क्यों नहीं आया
तुम्हें पता है मां को तुम्हारी कितनी चिंता हो रही थी पापा भी हर रोज तुम्हारे बारे में ही सोचते हैं क्या तू अपनी जिम्मेदारियां से डर कर घर नहीं आ रहा था या फिर कोई और वजह है
और क्या तुम्हें रंजन का जरा भी ख्याल नहीं आया रिंकी भी तुम्हें पूछ रही थी
आलोक कहता है दीदी आप लोगों के बारे में इतना क्यों सोचती हैं वही लोग है ना जो आपके घर से निकाल दिए थे
फिर भी आपको उन लोगों की इतनी चिंता क्यों हो रही है रोशनी कहती है किसने कहा तुमसे कि लोगों ने मुझे घर से निकाल दिया
आलोक कहता है झूठ मत बोलिए दीदी मुझे सब पता है रंजन ने मुझे सब कुछ बता दिया था इसीलिए मैं घर नहीं जा रहा था रोशनी कहती है अब तुझे घर चलना ही होगा क्योंकि तुझे लेने मैं आई हूं ना बहुत मानने पर आलोक घर जाने को मान जाता है
रोशनी आलोक को अपने साथ लेकर घर आती है आलू को देखकर सुमन खुशी से पागल हो जाते हैं रंजन और रिंकी भी अपनी अपनी राखियां लेकर आती हैं और कहती है भाई तू 3 सालों से घर नहीं आया था ना हम लोग हर साल की राखियां बचा के रखे हैं अब जल्दी से अपनी कलाई दीदी हम लोग अपनी राखी तुम्हारी कलाई पर बांध दे फिर देखना यह राखी कितनी जचगी घर के अलमारी में राखी राखी इनकी रौनक खराब हो रही थी अब इनकी रौनक तुम्हारी कलाई में बाढ़ के बढ़ जाएगी आलोक बड़ी प्यार से अपनी बहनों की ओर देख रहा था उनकी यह बातें सुनकर आलोक की आंखों में आंसू आ जाते हैं और कहता है ठीक है मैं भी हर राखी तुम लोगों को बहुत याद किया लेकिन घर नहीं आ सकता था क्योंकि मेरी रोशनी दीदी घर पर नहीं थी ना मेरी कलाई तो वैसे भी एक राखी का इंतजार करती इसलिए मैंने सोचा जिस दिन तुम तीनों लोग साथ आकर मुझे राखी बंधोगी उसी दिन मैं घर जाऊंगा रोशनी रहती है ठीक है तो फिर मैं भी अपनी राखी लेकर आता हूं मैं तीनों बहनें तुम्हें साथ ही राखी बांधूंगी रोशनी की मां कहती है सबसे पहले तू मेरे हाथों से अपना मुंह मीठा कर इतने दिनों बाद घर आया है पता नहीं तू कुछ खाया भी होगा या नहीं पापा कहते नहीं इससे पहले मैं खिलाऊंगा सुमन कहती है नहीं मैं परिवार में अब बहुत प्यार है यह सब देख आलोक बहुत खुश होता है और कहता है दोनों लोग साथ ही खिला दीजिए सब हंसते हैं और आलोक को खिलाते हैं बहिनी भी अपनी राखियां लेकर आती है आलोक की कलाई पर बांधती है आलोक सबको उपहार देता है
क्रमशः