बड़े दिनों बाद मोहनदास और सुमन के घर में खुशियां आई है लेकिन इस खुशी के मौके पर भी मोहनदास पुरी तरीके से खुश नहीं है
क्योंकि वह जानते हैं रोशनी स्वाभिमानी लड़की है जैसे ही घर की हालात में सुधार आएगा रोशनी दुबारा से घर छोड़कर चली जाएगी
इतने में रिंकी कहती हैं कि दीदी अब तो आलोक भैया आ गये है चलो साथ बैठकर खाना खाते हैं पहले की तरह
सब खाने पर बैठ जाते हैं आहिस्ता आहिस्ता का रहे होते हैं तभी रंजना कहती हैं रोशनी दीदी आपको पता है आपके बगैर इस घर की हालात कैसी हो गई थी
यह घर काटने को दौड़ता था जैसे लगता था जिंदगी तो चल रही है पर सांसों में घुटन है
ऐसा एक भी दिन नहीं होता था जब पापा आपको याद ना किये हो
जब जब दरवाजा खटखटाने की आवाज आती थी पापा कहते थे देखो रोशनी आईं होगी
वह खुद अकेले दरवाजे तक जाते थे और फिर मायुस होकर लौट आते थे
और कहते थे रोशनी इक दिन जरूर आएगी वह मुझसे बहुत प्यार करती है मुझसे मिलने जरूर आएगी
रोशनी बड़े ध्यान से रंजना की बातें सुन रही थी जब रंजना अपनी बात कहकर चुप होती है तो रोशनी पुछती है रंजना और तुम्हें हमारी याद आती थी
रंजना ने सर हिलाते हुए कहा नहीं मैंने आपको कभी याद नहीं किया मैं क्यों आपको याद करूंगी जाते वक्त आपने मुझे अपने साथ ले गरी थी क्या तब तो आपने मुझे कसम देकर रोक दिया था
क्यों दीदी आप इतनी महान क्यों हो क्यों अकेले सबके हिस्से का दर्द सहती हो जादू चीटिंग है दीदी आप अपनी खुशियां सबको बढ़ती हो पर अपना दर्द अकेले ही सहती हो ऐसा क्यों दीदी यहां आने पर सब ने अपनी हालत सुना दी सब कितनी दर्द से गुजरे सब बता दिया पर आपने अपनी कोई हालात बताया ही नहीं जैसे ऐसे लग रहा है जैसे आपको किसी महल में रहने के लिए भेजा गया था बताइए ना दीदी यहां से जाने के बाद आप कहां ठहरी थी आपके साथ क्या-क्या परेशानियां आई थी प्लीज दीदी बताओ ना रोशनी मुस्कुराती है और कहती है जिसके साथ तुम जैसी बहन की दुआएं हैं भला उसके साथ क्या परेशानी आएंगे मैं तो एकदम भारी चंगी मस्त थी मुझे कोई कोई समस्या नहीं आई थी बिल्कुल पापा के जैसे एक केशव चाचा थे जो मुझे अपनी बेटी की तरह पाले अपने घर में पनाह दिए इतना ही नहीं मुझे मेरा नया घर लेने में भी मदद की इसके साथ-साथ उन्होंने एक नृत्य कॉलेज भी खोलने में साथ दिए और मेरी सबसे अच्छी दोस्त कल्पना जो हर पल हर घड़ी मेरा साथ दी मेरी बहन की तरह हां यहां से जाने की बात मुझे तुम लोगों की बहुत याद आई पर उन लोगों ने पराई होने का कभी एहसास तक नहीं होने दिया बहुत भले लोग थे वह लोग अब तो उनसे हमारा बहुत गहरा और खास रिश्ता जुड़ चुका है रोशनी से रंजना कहती है हां दीदी वाकई वह लोग भले थे क्या आप मुझे उन लोगों से मिलवाएंगे मैं भी तो देखूं इस कलयुग में ऐसी फरिश्ते कहां से आए हैं वाकई वह धरती पर खुद के रूप होंगे किशोर चाचा मुझे उस खुद का दीदार करना है दीदी मिलवाएंगे ना दीदी आप उनसे रोशनी कहती है हां जरूर मिलवाऊगीं
फिर अचानक सब एकदम शान्त हो जाते हैं सबको शान्त देखकर रोशनी सोचती है मेरे घर वाले अब कभी उदास नहीं होंगे अब इनके हिस्से में कभी ग़म नहीं आएगा जितना सहना था सह चूके
मेरी प्यारी छोटी बहन रिंकी ने कितना दर्द सहा है एक छोटी सी गलती का इसे कितना बड़ा सजा मिला उसे रोहित को तो मैं नहीं छोडूंगी उसे जरूर सबक सिखाऊंगी आखिर उसे रिंकी से माफी मांगना ही होगा रोहित रिंकी के साथ ऐसा कैसे कर सकता है वह सोच रही होती है
वह मन ही मन कहती है अब और नहीं रिंकी अब तुझे और कुछ नहीं सहना होगा अब तू भी खुश रहेगी बाकी लड़कियों की तरह जैसे वह खुश रहती है अब तुझे झाड़ू पोछा बर्तन नहीं करना होगा अब तू अपने घर में बहुत आराम से रहेगी मैं ऐसा करूंगी
मैं तुझे तेरी इसी की खुशी दिलवा के रहूंगी यह तुम्हारी बड़ी बहन रोशनी का वादा है और यह अपना वादा में बहुत जल्द पूरा करूंगी
सब खाते-खाते ढेर सारी बातें करते हैं कभी भाव होते हैं तो कभी मजे की बातें करते हैं ऐसे करते-करते खाना खाकर सभी लोग सोने के लिए चले जाते हैं रोशनी चुपचाप बैठी रहती है वह बेचारी कहां जाए सोने उसे तो उसे घर से निकाल दिया गया था वह सोच रही होती है वह कहती है मैं चली जाऊं लेकिन फिर वह सोचती नहीं अभी नहीं जब तक मैं रिंकी को उसके हिस्से की खुशियां नहीं दिलवा देती थी इस घर से नहीं जाऊंगी आखिर में इस घर की बड़ी बेटी हूं मेरी यह जिम्मेदारी है अपनी जिम्मेदारी में जरूर निभाऊंगी ऐसा सोचकर वह भी सो जाती है
फिर सुबह होती है सब उठाते हैं रोशनी भी उठाती है तैयार होती है और वह अपने कॉलेज के लिए निकल ही रही होती है कि उसके पिताजी इस पूछते हैं बेटा तू शाम को घर तो आएगी ना रोशनी कहती है हां मैं जरूर आऊंगी मैं अभी अपनी नित्य कॉलेज जा रही हूं वहां बच्चों को नृत्य सीखना है ना पापा इसलिए जा रही हूं मैं आऊंगी उसके पापा कहते नहीं बेटी पहले तू हमसे वादा कर मुझे कसम दे कि तू शाम को लौट के आएगी उसकी मां सुमन भी कहती है हां बेटा तू मेरे सर की कसम खा तू आएगी तभी मैं तुझे जाने दूंगी अन्यथा तुझे नहीं जाने दूंगी रोशनी अपनी मां की सर की कसम खाती है और कहती है मैं शाम को जरूर आऊंगी
रोशनी खुशी खुशी नृत्य कालेज जाती है
आलोक अपने आफिस जाता है रंजना पढ़ने के लिए कालेज जाती है और
तभी रोहित का फोन आता है रिंकी कहा मर गई तुम तुम्हें घर नहीं आना है क्या
अपने बहन से मिलकर पेट नहीं भरा तुम नहीं आओगी तो झाड़ू पोछा कौन करेगा तेरा बाप खुद को महारानी समझने लगी है क्या तुम और तुम किस बहन से मिलने गयी थी वो तो तुम्हारी सोतेली बहन है ना जब तुम्हारी मां ने उसे घर से एक बार निकाल दिया तो वह दोबारा क्या लेने आई है
तुम लोगों के फितरत से वाकिफ हैं हम अपना हिस्सा लेने आई होगी उसका हिस्सा लेकर उसे दफा क्यों और तुम जल्दी घर आओ
रिंकी को गुस्सा आ जाता है वह रोहित पर चिल्लाती है तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारे दीदी के बारे में ऐसा बोलने का
तुम मेरे साथ जो करते हो मैं सह लेती हूं लेकिन हमारे दी के लिए एक लफ्ज़ भी बोले तो अच्छा नहीं होगा
रोहित जोर जोर से हंसता है और कहता है तुम्हारी दीदी रोशनी जिसका कल तक तुम सकल तक नहीं देखना चाहती थी इतना ही नहीं अपनी मां से कहकर उसे घर से निकलना दिया
आज उस दीदी के लिए इतना प्यार यह तुम्हारी कोई चाल है मैं समझता हूं
रिंकी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी वह कुछ बोल नहीं सकी वह चुप हो गई और फोन काट दिया
रिंकी खुद को कोस रही होती है लेकिन वाकई अब वह बदल चुकी थी वह रोशनी से बहुत मोहब्बत करने लगी थी उसे अपनी बहन समझने लगी थी उसे रोशनी की महानता का एहसास हो चुका था
क्रमशः