11 सितम्बर 2018
सांसो में आता जाता है स्पंदन बन चलता जाता है जीवन तू अंतर मैं मुस्काता है कभी अश्रु बन के जीता है कभी स्नेहमय बन जाता है जीवन तू मौन हो सब कुछ कह जाता है माँ की ममता बहन का प्यार और कभी प्रयसी की गुहार जीवन तू सब कह जाता है रेशम की झालर सा सहलात