पी.एच.डी , पोस्ट डॉक् ( भौतिक विज्ञान) आई. आई. टी कानपुर. भारतीय दर्शन में प्रगाढ़ रूचि, हिंदी लेखन में रूचि, प्रकृति से अपनापन
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उन्मीलित नेत्रों से
लोकतंत्र के महापर्व से प्रकट हुई 303 की संख्या शुभ संख्या 101 की तीन गुनी है यह असाधरण घटना इस लिए घटी क्यूंकि शस्य श्यामला पावन धरा की गोद में एक महा तपस्वी चेतना ने सकारात्मक चिंतन की डोर पकड़ कर्मठता त्याग व साह
भोर की ब्राम्ही शीतलता जीवन को नव किशलयों का दान करने धरा पर उतरती तो जागरूक चेतना की झोली सृजन, समृद्धि और सरलता की सुवास से परिपूर्ण हो उठती. खरहरे की खर्र खर्र, मथानी की गर्र गों, व चकिया और सूप की घड़र घड़र और फटर फटर में वो चेतनाएं भी जाग उठती जो निंद्रा के वसीभूत होती. कुएं की जगत पर स्नान कराने
अमा कभी ये लखनऊ बागों के लिए मसहूर हुआ करता था, जब जब गर्मियां आती तो चारबाग की दसेहरी पाने को हर हाँथ लपक उठता, तो कोई कैसरबाग़ के सफ़ेदा की डालिओं पे जी छिड़कता, ये बादशाह बाग़ के चौसो और लंगड़ों की खुसबू को क्या कहें कि जब तक कोई घर वाला तांगे से ढूँढने नही निकलता, अमा मिया हम तो घर जाने से रहे. वो