13 मार्च 2019
उस ने खिड़की से चाँद देखा था हम ने खिड़की में चाँद देखा है
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बीते पल अगरबत्ती के धुएँ की तरहतस्वीर की तरह फ़िज़ा में मँडराते है और धुआँ बिखर जाने के बाद भीख़ुशबू सी महक फिजाओं में घुल जातीं हैं
मन अक्सर कहता हैईश्वर से कुछ मांग लेआत्मा रोक देती है यह कहकर किप्रभु ने जितना दिया हैक्या मै उसके काबिल भी था
लोग बुरे नहीं होतेबस जब आपके मतलब के नहीं होतेतो बुरे लगने लगते हैसमझनी है जिंदगी तो पीछे देखोजीनी है जिंदगी तो आगे देखोहम भी वहीं होते हैं,रिश्ते भी वहीं होते हैंऔर रास्ते भी वहीं होते हैंबदलता है तो बस*समय, एहसास, और नज़रियाा🙏🙏 Good day 🙏🙏