31 अक्टूबर 2019
मन अक्सर कहता है
ईश्वर से कुछ मांग ले
आत्मा रोक देती है यह कहकर कि
प्रभु ने जितना दिया है
क्या मै उसके काबिल भी था
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बीते पल अगरबत्ती के धुएँ की तरहतस्वीर की तरह फ़िज़ा में मँडराते है और धुआँ बिखर जाने के बाद भीख़ुशबू सी महक फिजाओं में घुल जातीं हैं
उस ने खिड़की से चाँद देखा था हम ने खिड़की में चाँद देखा है
मन अक्सर कहता हैईश्वर से कुछ मांग लेआत्मा रोक देती है यह कहकर किप्रभु ने जितना दिया हैक्या मै उसके काबिल भी था
लोग बुरे नहीं होतेबस जब आपके मतलब के नहीं होतेतो बुरे लगने लगते हैसमझनी है जिंदगी तो पीछे देखोजीनी है जिंदगी तो आगे देखोहम भी वहीं होते हैं,रिश्ते भी वहीं होते हैंऔर रास्ते भी वहीं होते हैंबदलता है तो बस*समय, एहसास, और नज़रियाा🙏🙏 Good day 🙏🙏