भरद्वाज गौत्रीय ब्राह्मणों की कुलदेवी चामुण्डा माता की आरती की नवीन रचना
ॐ जय चामुण्डा माता, मैया जय चामुण्डा माता ।
कुलदेवी कुलपालनी ,कुल रक्षक दाता ।।
ॐ जय चामुण्डा....
कांगड़ देवास लौद्रवा, कोलासर राजे ।
शक्तिदादी के संग में, कोटासर साजे ।।
ॐ जय चामुण्डा
ऐं शारदा बीजा, ह्रीं रमा रूपा ।
क्लीं कालिका वर्णी, तीनों चामुण्डा रूपा ।।
ॐ जय चामुण्डा
सिंह सवारी सोहे, चतुर्भुजा धारी ।
सूर्यमणि सम आभा, विश्व भवन वारी ।।
ॐ जय चामुण्डा
भरद्वाज कुल अम्बा , चण्ड मुण्ड मारे ।
सुर नर नारी ऋषिन के, सबके कष्ट हरे ।।
ॐ जय चामुण्डा
नवलख शक्तिसेना , अगवाणी भैरूँ ।
छमछम नृत्य करन्ता, बाजे शंख डैरूं ।।
ॐ जय चामुण्डा
माँ चामुण्डा की आरती, जो कोई नित गावे ।
रचना कीन्ही श्रीराधे , षट कीर्ति पावे ।।
ॐ जय चामुण्डा
!! ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्ये_मानाशक्त्यै नमः !!
रचियता श्रीराधेजी जोशी दुलचासर (मूल कोटासर )
चामुण्डा माता मंदिर , टेकरी देवास
माँ चामुण्डा धाम "श्री कोलासर
माँ शक्तिदादी मंदिर कोटासर
Mata. Chamunda Devi Kangra
|| माँ शक्तिदादी मङ्गल चरित ||
!! मंगलाचरण दोहा !!
श्री गुरु गणपति शारदा, नमन वीर हनुमान ।
मंगल पाठ मङ्गल करहू, शक्ति करहुं कल्यान ।।१
मंगलमूर्ति गणपति, मंगलमूर्ति हनुमान ।
मंगल करणी अमंगल हरणी,शक्तिदादी रो नाम ।।२
नवलख शक्त्याँ साथ में, शक्ति चामुंडा मात ।
बावन भैरव वीर जू , जोड़ूँ दोनों हात ।।३
गुरु गौतम गंगा गायत्री, आगम निगम सब सन्त ।
जाके सुमरण होत मंगल, महिमा जाकी अनन्त।।
जय जय दादी शक्ति की, जय जय कोटासर धाम ।
कुलदेवी चामुण्डा माँ, पूर्ण करो सब काम ।।4
गौ घृत दीपक धूप दे , पाठ करे चित्त लाय ।
तिनके सब संकट हरै, होत दादी सहाय ।।5
!! चोपाई !!
प्रणऊँ प्रथम गौरिसुत चरणा ।
काटे क्लेश मङ्गल सब करणा ।।१
कुलगुरु गौतम देव नमामि ।
भारद्वाज ऋषि अंतरजामी ।।२
कुलरक्षक कुलदेवी भवानी ।
आदि शक्ति चामुण्डा नमामि ।।३
मार्कण्ड मुनी निज मुख गाई ।
कहऊँ सौ कथा यथा मति भाई ।।४
पुनि कहूँ सति माना अवतारी ।
अचरज लीला किनि जो सारी ।।५
!! दोहा !!
जगमंगल तारण तरण, लीन्हो चामुण्डा अवतार ।
कहत सुनत अमंगल नसै, सरस् चरित उदार ।।6
!! चोपाई !!
एक बार देवन दुःख पाए ।
ब्रह्मादिक सब शरण में आए ।।1
त्राहि त्राहि हे मातु भवानी।
रक्षा करो माँ दासहि जानी ।।2
शुम्भ निशुम्भ दानव दोऊ भारे ।
समरभूमि सब देवन हारे ।।3
हरहु भार महि को अम्बा ।
आदि शक्ति जय माँ जगदम्बा।।4
अभयदान देवन को दीन्हा ।
अटल निवास हिमालय कीन्हा ।।5
दैत्यराज तब दूत पठायो ।
उतर जानी तब बहुत खिजायो ।। 6
धूम्रलोचन पठयो तब राजा ।।
समरांगण लै सेन समाजा ।।7
सने सहित सब ताहि संहारी ।
चण्ड मुण्ड पुनि आए बलकारी।।8
दानव जुगल देखी भई कोपा ।
काल कराल कालिका रूपा ।। 9
अट्टहास करि सेर सवारी ।
चलहि भैरव संग स्वान सवारी ।।10
चलहि निसाचर चढ़ चढ़ि बहना ।
समर भयंकर जाहि न बरना ।। 11
!! दोहा !!
चण्ड मुण्ड सिर काटी तब, पहुँचाए निज धाम ।
सुर समूह जय जय कार करै, लै लै चामुण्डा नाम ।।7।।
!! चोपाई !!
जयति जयति जय माँ चामुण्डा ।
मारी असुर चण्ड औरु मुण्डा ।।1
जो यह चरित सुनई मन लाई ।
तिन घर भगवती वास सदाई ।।2
तव कृपा नासै सब रोगा ।
मंगल पाठ करै जंहा लोगा ।।3
पाछे रक्तबीज सँगारी ।
शुम्भ निशुम्भ हते भट भारे ।।4
सुर नर मुनि जन भय सुखारी ।
पूजा नित सब करहीं तुम्हारी ।।5
!! छन्द !!
जय देवी चामुण्डे रूप धरे ।
निज भगतन के सब कष्ट हरे ।।1
तव रूप अनेक सदा धरणम् ।
कुलदेवी चामुण्डे मम शरणम् ।।2
!! दोहा !!
बिकणो गढ़ मरु देस में, जूनो मेघासर ग्राम ।
जन्मभूमि जग पुनित जंहा, शक्तिदादी रो धाम ।।8
चोपाई
विप्र एक वेद विधि ज्ञाता ।
रवि सम तेज पुनि भगत विख्याता ।।1
देवी उपासक तुलछिराम नामा ।
गौधन सुख गृह सुन्दरी वामा ।। 2
उपाध्याय कुल की महिमा भारी ।
जंहा चामुण्डा माना अवतारी ।।3
सपनहुँ देवी दरश दिखाई ।
सती अवतार की कथा सुनाई ।।4
जागे विप्र ब्रह्मवेला महीं ।
सपन कथा निज गृहणी को कही ।।5
देवी तप म्हें काल चल गयऊ ।
माना जन्म सौ मुहूर्त आयउ ।।6
दोहा
सम्बत पन्द्रह सौ इकतीस, शुद तिथि शुभ वार ।
मुहूर्तराज अभिजीत शुभ, शक्ति लीन्हो अवतार ।।9
चोपाई
विप्रराज मन मोद उच्छाहु ।
सुता जन्म सुख वरनी न जाहु ।।1
हियँ हरषि कुलदेवी मनावै ।
पूर्वज पूजी पुन्य सहरावै ।।2
तुलछिराम मन आनन्द भारी ।
गीत सुमंगल गावे नारी ।।3
उड़े अबीर अरू लाल गुलाला ।
बाजे ढोल थाल संग छाला ।।4
नामकरण शुभ दिवस जाना ।
माना नाम रख्यो धरि ध्याना ।।5
द्विज सुता तव होई विख्याता ।
प्रगटि अँश चामुण्डा माता ।।6
बाल खेल नाना विधि कीन्हा ।
जननी जनकहि सब सुख दीन्हा ।।7
लग्न लायक कन्या जब देखी ।
पितु सोच मन करही विसेषी ।।8
रवि सम तेज जोबन रूपा ।
कहि कुल मलहि वर अनुरूपा।।9
सोरठा
शक्ति जन्म जस गावहि,श्रवण सुनहि धरि ध्यान ।
देह गेह सुख पावहि, तिहुँके होही सदा कल्यान ।।10
दोहा
गुर्जरगौड़ कांगला कुल , जोशी कोटासर गांव ।
ब्रह्मगुण तहाँ सकल बसै, करहुँ लाड़ली रो ब्याँव ।।11
चौपाई
ग्रामदेव भोमियाजी करौं ध्याना ।
आगली कथा सुनहुँ सुख माना ।।1
कुलदेवी चामुण्डा मनाऊँ ।
विप्र वंश नी महिमा गाऊँ ।।2
सुँदर नगर कोटासर ग्रामा ।
विप्र बसै जठ किसनारामा ।।3
तीनके सुत सब आज्ञाकारी ।
जेठ हेम सुत बड़ आचारी ।।4
गृहणी गंगा सुन्दर बामा ।
गंगानन्दन कचरुराम नामा ।।5
अस्त्र शस्त्र विद्या सब जानै ।
रवि सौं पुंज न जाहि बखानै।।6
करही कर्म धर्म नेम आचारा ।
वेद मन्त्र अंग सहित उच्चारा ।।7
ज्योतिष शास्त्र जाने जे सारी ।
ते जोशी पद के अधिकारि ।।8
राज समाज सकल सहरवै ।
बुद्धि विवेक बल बरनी न जावै ।।9
लग्न करन हित श्रीफल आयो ।
मेघासर ते तुलछिराम पठायो ।।10
दोहा
लग्न बाँची मन मोद भरि, बोले बैन हेमाराम।
जिनकी महिमा अमित अति, सौ आवहि मम धाम ।।12
श्रीविनायक शुभ दौ कूल पर, मंगल गान उछाह ।
माँ माना कचरुराम कर ,सानन्द भयौ विवाह ।।13
चौपाई
दीन्ह दाईज न जाहि वरणी ।
मेघासर नन्दिनी कोटासर परणी ।|1
विदा करन काल जब आयो ।
जनक जननी नयनजल छायो ।।2
पुत्री सौ कीजै सब सुख पावै ।।
नारी धर्म का पाठ पढावै ।।3
सास ससुर अरु पति पद पेमा ।
करहु सदा सीता सम नेमा ।।4
रोके आँसू कुसमय बिचारि ।
आशीर्वादु दीन्ह सब नारि ।।5
अस कहि विदा कीन्ह उर लाई ।
चली बरात सुमंगल जस गाई ।। 6
इँहा कोटासर बाजै बधावा ।
लोकरित तब सकल करवा ।।7
जँहा यह चरित होई दिन राती ।
तेहि गृह बसहि सकल सम्पति।।8
||छंद||
सम्पत्ति सकल निवास बसगृह, जे गावै चरित उदारसौं ।
तेहि पावै सकल संसार सुख सब, माँ शक्ति दादी प्रसादसौं ।।
निज भक्त भार अपार देखत, लीन्हो भू अवतार तुम ।
तव पाद पंकज दास राधै, आस शक्ति आधार नाम ।।
|| स्वस्ति श्रीमन्चामुण्डाशक्तिमङ्गलचरितम् सकलकामनासिद्धकरणे शक्तिचामुण्डा स्तुति सम्पूर्णम् ||
जय जय कोटासरनगरे निवासिनी
राजराजेश्वरी माँ चामुण्डाशक्ति नमो नमः।। 🙏🔱
(नॉट-प्रथम भाग चामुण्डा अवतार चामुण्डा माता का असुरों से युद्ध मेघासर का परिचय दादी की जन्म कथा कोटासर की कथा जोशी वंश परिचय एव विवाह कथा तक है आगे माता जी कृपा से द्वितीय भाग कोटासर की कथा शक्तिदादी की दिनचर्या कचरुराम जी की वीर गति शक्तिदादी का निज धाम गमन और फल श्रुति का लेखन चल रहा है महासती दादी की कृपा हुई तो जल्द ही पूर्ण चरित्र आप तक किसी ग्रन्थ के माध्यम से अर्थ सहित पहुंचने की कौसिस रहेगी ।
रचियता बालशुक पण्डित श्रीराधे जी जोशी -जय माँ शक्तिदादी )
मंगल करणी अमंगल हरणी ।
कृपा करहु शक्ति धणियाणी ।।
।।दादी अर्पण मस्तु।।
|। शक्तिचामुण्डा नित्य स्तुति ।|
जय जय जय कुलदेवी माँ, शक्तिकृपा सुख धाम ।
सब की लज्जा राखिए, माँ कोटि कोटि प्रणाम ।। 1
कर कमल बालक लिए , मस्तक मुकट अनूप ।
कर्ण कुंडल सिर चुन्दडी, शक्तिदादी रो रूप ।। 2
आसोज शुक्ला सप्तमी, उत्सव भारी होए ।
दादी के दरबार से, खाली न जाए कोए ।।3
जोशी झुके माँ चरण में , धोके सातम ममाई ।
मन इच्छा पूर्ण करे, जय जय कोटणे री राई ।। 4
आसोज नोरतां सप्तमी , उत्सव चंहु और ।।
लाल ध्वजा सिर छत्र विराजे, भगतां पर मेहर ।।5
धन्य कोटासर नगर हैं , पावन धाम अमित ।
कुल रखवाळी डोकरी ,करे जगत में जीत ।।6
कृपादृष्टि करो मैया , काया कष्ट अपार ।
दास आ गयो शरण में, दादी किज्यो नैया पार ।।7
दीन जाण दया करो, दीज्यो अन्न धन दान ।
प्रीत रहे कुटुम्ब संग, बल बुद्धि अरु ज्ञान ।।8
राधे रूप निहार के , रहत सदा आनन्द ।
शक्ति चामुण्डा तोही मौ परे ,करहु कृपा सानन्द ||9
शक्ति कोटासर धाम हैं ,कलजुग के अवतार ।
भलौ कीजौ भक्त को, माँ बिनती बारम्बार ।।10
शक्ति स्तुति करुँ सदा , जपुँ दादी रो नाम ।
मन इच्छा पूर्ण करो , कहत हुक्माराम ।। 11
||भोमियाजी की आरती||
ॐ जय बगतावर दादो सा, श्री भोमिया जी दादो सा ।
अश्वन सवारी सोहे , काटे कष्ट पासा ।। 1
मण्डोरी कुल प्रगटे , कोटासर मांई । दादा..
पिता जवानीसिंह जी , भटियाणी जी माई ।।2 ॐ जय भोमिया जी दादो सा
छत्री वंश पड़िहार , कोटाणे के राजा ।
जो कोई ध्यावे मन से , सारे सब काजा ।। 3
वस्त्र अंग श्वेताम्बर , हाथ खड्ग धारी ।
पिळो पेच किलंगी, भगतन हितकारी ।। 4
भादो शुक्ला दशमी , धोक लगे थारे ।
जो कोई शरण में आवो , मन ईच्छा पूरे ।। 5
दूध पतासा श्रीफल , नित नित भोग लगे ।
ढोल नागड़ा बाजे, जगमग जोत जगे ।। 6
भोमियाजी दादो सा की आरती, जो कोई नित गावे ।
रचना किन्ही श्रीराधे , सब विधि सुख पावे ।। 7
||माँ शक्तिदादी ||
सजा दरवार प्यारा है कोटासर धाम निराला है ।
शक्तिदादी जंहा बैठी , कोटासर धाम निराला हैं ।।1
गले में माला पुष्पों की, मुकुट मस्तक सज्यो प्यारो ।
मन्द मुस्कान मुखपर हैं , कोटासर धाम निराला है ।।2
ओढ़ के लाल चुनरियाँ, हाथ में लाला को लिए ।
सुनती भक्तों के दुःखड़ों को, कोटासर धाम निराला हैं ।।3
शक्ति कलिकाल में प्रगटि, कांगला जोशी गुण गावे ।
दादी कुलदेवी संग बैठी, कोटासर धाम निराला हैं ।।4
तेरी कृपा जो हो जाए, मेरा जीवन संवर जाए ।
"राधे के कष्ट हरलो माँ , कोटासर धाम निराला हैं ।।5
रचियता - बालशुक पण्डित श्रीराधे जी जोशी ( हुकम )
माँ शक्तिदादी मङ्गल चरितम्