यौवन गुलाबी फूलों का सेहरा तो बुढ़ापा कांटों का ताज होता है। लम्बी उम्र सब चाहते हैं लेकिन बूढ़ा होना कोई नहीं चाहता है।। छोटी उम्र या कोरे कागज पर कोई भी छाप छोड़ी जा सकती है। युवा के पास ज्ञान तो
*श्रीमते रामानुजाय नमः*🌲🌿🌲🌿🌲🌿🌲🌿*‼️गुरु ही सफलता का स्रोत ‼️**भाग १२:--**गतांक से आगे:-------*जीवन पौरुष के साथ जीने के लिए प्राप्त हुआ है और वह पौरुष गुरुद्वारा प्रदत्त ज्ञान का पूर्ण रूप से पकड़ कर ही प्राप्त हो सकता है। सद्गुरु हर जीवन में साथ रहते हुए उस मार्ग पर ले जाते हैं जो पूर्णता का,
*इस संसार में अनादिकाल से जो धर्म स्थित है उसे सनातन धर्म कहा जाता है | सनातन का अर्थ है जो शाश्वत हो, सदा के लिए सत्य हो | जिन बातों का शाश्वत महत्व हो वही सनातन कही गई है | जैसे सत्य सनातन है , ईश्वर ही सत्य है, आत्मा ही सत्य है , मोक्ष ही सत्य है और इस सत्य के मार्ग को बताने वाला धर्म ही सनातन धर
*हमारा देश भारत आदिकाल से दिव्य ऋषि - मुनियों का देश रहा है | ऋषि - मुनियों ने सदैव मानव मात्र के कल्याण के लिए ही समस्त ज्ञान प्रसारित किया है | हमारे ग्रन्थों में स्थान - स्थान पर मनुष्यों के लिए दिशा - निर्देश प्राप्त होते हैं | इस संसार का आदिग्रन्थ स्वयंभू वेदों को माना जाता है | हमारे चारों वे
जनहित में जारी।भगवान (भगवान---राम, रहीम, अल्ला, मसीहा, गुरु)भ भूमिग गगनव वायुअ आँगन नीरपूर्वजो से सुना था कि सूखा में अनगिनत लोग मरे थे। तब से जल संरक्षण की शुरुवात हुई थी।आज आँखों से देख रहे है। ऑक्सीजन की कमी से लाखों लोग मर चुके है। करोङो मरने के लिए लाईनो में लगे है। वायु संरक्षण की
*परमपिता परमेश्वर जिन्हें ब्रह्म कहा जाता है उन्होंने अपनी माया से इस सृष्टि की रचना की | सृष्टि का कण-कण माया से परिपूर्ण रहे बिना माया की / ब्रह्म की शक्तियां काम नहीं कर पाती , अर्थात ब्रह्म एवं माया से मिलकर ही यह सृष्टि बनी है और इस सृष्टि का प्रत्येक जीव माया से अभिभूत होकर ही कार्य करता है |
*सनातन धर्म में अनेकों व्रत उपवास बताए गए है जो मनुष्य को भौतिकता से कुछ क्षण के लिए उबार कर सात्त्विकता की ओर अग्रसर करते हैं | अपनी संस्कृति एवं संस्कार को.जानने का सशक्त साधन हैं समय समय पर पड़ने वाले हमारे व्रत एवं उपवास | वैसे तो सनातन धर्म में व्रत उपवासों की वृहद श्रृंखला है परंतु कुछ व्पत वि
*सनातन धर्म में साधक की कई श्रेणियाँ कही गयी हैं इसमें सर्वश्रेष्ठ श्रेणी है योगी की ! योगी शब्द बहुत ही सम्माननीय है | योगी कौन होता है ? इस पर विचार करना परम आवश्यक है | योगी को समझने के लिए सर्वप्रथम योग को जानने का प्रयास करना चाहिए कि आखिर योग क्या है जिसे धारण करके एक साधारण मनुष्य योगी बनता ह
*मानव जीवन में जल का बहुत बड़ा महत्व है | बिना जल के जीवन की संकल्पना भी नहीं की जा सकती | जिस प्रकार जीवन में जल का महत्व है उसी प्रकार बारह महीनों में भाद्रपद मास का भी बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि जल वर्षा का मुख्य समय भाद्रपद मास ही है | वर्ष की बारह महीनों में यदि भाद्रपद मास में जल वर्षा न हो तो
*श्रीमते रामानुजाय नमः**श्रीगोदम्बाय नमः**चीराणि किं पथि न सन्ति दिशन्ति भिक्षां* *नैवाङ्घ्रिपाः परभृतः सरितोऽप्यशुष्यन् ।**रुद्धा गुहाः किमजितोऽवति* *नोपसन्नान् कस्माद्भजन्ति कवयो धनदुर्मदान्धान्*पहनने को क्या रास्तों में चिथड़े नहीं हैं? रहने के लिए क्या पहाड़ो की गुफाएँ बंद कर दी गयी हैं? अरे भाई !
🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥 ‼️ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼️ 🟣 *श्री हनुमान चालीसा* 🟣 *!! तात्त्विक अनुशीलन !!* 🩸 *भाग - प्रथम* 🩸🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️💧🏵️प्रातःस्मरणीय , परमपूज्यपाद , कबिकुल शिरोमणि , गोस्वामी तुलसीदा
*इस धरा धाम पर ब्रह्मा जी ने अनेकों प्रकार की सृष्टि की जिससे कि मानव जीवन सुगमता से व्यतीत हो सके | ब्रह्मा जी को चतुर्मुख कहा जाता है | ब्रह्मा जी ने अपने चारों मुख से मनुष्य के जीवन निर्वाह के लिए चार प्रकार की विद्याओं का सृजन किया वेदव्यास जी महाराज श्रीमद्भागवत महापुराण में लिखते हैं :--- "आन्
*इस धराधाम पर मनुष्य सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ कहा जाता है | अपने गुणों से मनुष्य ने यह श्रेष्ठता स्थापित करके स्वयं को सिद्ध भी किया है | आदिकाल से मनुष्य आपसी सामंजस्य , प्रेम एवं भाईचारा बनाकर एक दूसरे का सहयोग करता चला आया है | जहां समाज में एक दूसरे का हित चाहने वाले देखे जाते हैं जो दूसरो
बिना मिठास के फल ही क्या ?बिना रस के काव्य की रचना ही कैसे हो भला.चलो रस भरते है जीवन में, काव्य रचते है रंग बिरंगे से हम.प्रेम रस के रूप अनेकश्रृंगार, वात्सल्य, भक्ति का का होता संचार.कभी मिलन है तो कभी विरह है, श्रृंगार रस.कभी कृष्ण तो कभी राधा है इसका दूसरा नाम.कभी ममत
आप में से लगभग सभी लोगों ने ट्रेन का सफर तो किया ही होगा. ट्रेन का सफर करने के लिए रेलवे स्टेशन भी गए होंगे. अगर आप किसी रेलवे स्टेशन पर गए होंगे तो आपने वहां एक साइन बोर्ड को तो देखा ही होगा, जिस पर स्टेशन का नाम लिखा होता है. अगर आपने ध्यान दिया हो तो आपको उसमें स्टेशन
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ह्यूस्टन में हुआ ‘Howdy, Modi’ इवेंट. स्टेडियम में 50 हज़ार से ज़्यादा भारतीय मूल के अमेरिकी मौजूद थे. मंच पर थे नरेंद्र मोदी और डॉनल्ड ट्रंप. यहां डेमोक्रैटिक पार्टी के नेता स्टेनी होयर भी आए. उन्होंने नेहरू-गांधी के भारत का ज़िक्र किया. उन्होंने नेहरू के सपनों के भारत की बात की. धर्मनिरपेक्ष लोकतं