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''शहीद दिवस'' (२३मार्च )

25 मार्च 2017

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शत शत नमन शहीद दिवस पर,

अविस्मरणीय शहीदों को|

भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु ने,

चूम लिया था फंदो को |

निशा तेईस को शहीद हुए थे,

इंकलाब की बोली बोल |

आजादी का परछम फहराकर,

विदा हो गए वीर अनमोल |


देशभक्ति को अपराध बताकर,

फांसी पे लटका दिया |

जनाक्रोश की ज्वाला से डरकर,

तय समय को बदल दिया |

तेबीस को चौबीस बताकर,

अपने भय को तृप्त किया |

सिंधु तट पर जाकर के ,

तम में ही दाह-संस्कार किया |


अंग्रेज सोचते थे की ,

हमने जंग को जीत लिया |

रक्त तप्त अंगारो को ,

अपनी मुठ्ठी में बंद किया |

लेकिन वह आग दावानल थी ,

जिसे बुझाना नामुमकिन था |

क्रांतिवीरो की शहीदी ने ,

संग्राम का रूप विकराल किया |


मात्र चौबीस की उम्र में ,

जो शहीदो का सिरमौर बना |

जिसकी शहादत ने ,

स्वतंत्रता का संग्राम रचा |

सुखदेव और राजगुरु ने ,

सर्वस्व न्यौछावर कर डाला |

शांत स्वतंत्रता की ज्वाला को ,

पुनः उन्मादित कर डाला |


अमर हुए ये वीर पुत्र ,

इनका कूल भी अमर हुआ |

शहादत इनकी अमर हुई ,

समर भी इनका अमर हुआ |

जेल की दीवारे अमर हुई ,

वो फांसी का फंदा अमर हुआ |

ऐसे वीरो की जन्म भूमि ,

ये भारतवर्ष भी अमर हुआ |

- आदित्य दवे

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