शत शत नमन शहीद दिवस पर,
अविस्मरणीय शहीदों को|
भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु ने,
चूम लिया था फंदो को |
निशा तेईस को शहीद हुए थे,
इंकलाब की बोली बोल |
आजादी का परछम फहराकर,
विदा हो गए वीर अनमोल |
देशभक्ति को अपराध बताकर,
फांसी पे लटका दिया |
जनाक्रोश की ज्वाला से डरकर,
तय समय को बदल दिया |
तेबीस को चौबीस बताकर,
अपने भय को तृप्त किया |
सिंधु तट पर जाकर के ,
तम में ही दाह-संस्कार किया |
अंग्रेज सोचते थे की ,
हमने जंग को जीत लिया |
रक्त तप्त अंगारो को ,
अपनी मुठ्ठी में बंद किया |
लेकिन वह आग दावानल थी ,
जिसे बुझाना नामुमकिन था |
क्रांतिवीरो की शहीदी ने ,
संग्राम का रूप विकराल किया |
मात्र चौबीस की उम्र में ,
जो शहीदो का सिरमौर बना |
जिसकी शहादत ने ,
स्वतंत्रता का संग्राम रचा |
सुखदेव और राजगुरु ने ,
सर्वस्व न्यौछावर कर डाला |
शांत स्वतंत्रता की ज्वाला को ,
पुनः उन्मादित कर डाला |
अमर हुए ये वीर पुत्र ,
इनका कूल भी अमर हुआ |
शहादत इनकी अमर हुई ,
समर भी इनका अमर हुआ |
जेल की दीवारे अमर हुई ,
वो फांसी का फंदा अमर हुआ |
ऐसे वीरो की जन्म भूमि ,
ये भारतवर्ष भी अमर हुआ |
- आदित्य दवे