किसी भी व्यक्ति को कोई व्यक्ति , कोई विचार , कोई पुस्तक ,कोई भाषण नहीं बदल सकता ,सफलता नहीं दिल सकता |यदि वह वास्तव में सफलता प्राप्त करना चाहता है , स्वयं को बदलना चाहता हे तो ही वह सफल हो सकता है अन्यथा नहीं | किसी का ज्ञान ,विचार ,भाषण, पुस्तक आदि मात्र साधन हे साध्य को साधने के| हमारा जीवन कई तरफ से कई तरह की परिस्थितियों से घिरा हुआ है| हमारे जीवन को कैसा बनाना है यह हम तय करते है न की हमारे माता पिता या और कोई| वे चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकते क्यों की हम पर केवल हमारा ही शत-प्रतिशत अधिकार होता है | जीवन एक रंगमंच है इसमें बहुत सारे नायक नायिकाये , अभिनेता अभिनेत्री वगैरह है | ये मात्र मोहरे है जिन्हें मंजिल दिखा दी जाती है वहां तक पहुचना है या नहीं , कैसे पहुचना है ? ये सब उन पर छोड़ दिया जाता है | जो व्यक्ति उचित मार्ग को चुनता है वह अपनी मंजिल पा जाता है और जो व्यक्ति अनुचित मार्ग पर चलता है उसका विफल होना निश्चित है | ईश्वर के इस रंगमंच में जो सफलता को प्राप्त करता है उसे दुनिया याद रखती है और मर कर भी वो अमर हो जाता है लेकिन विफल होकर कोई भी अमर नहीं होता | हाँ , यहाँ माना जा सकता है की सफलताएं आसान नहीं होती और विफलताएं हमेशा ख़राब नहीं होती क्यों की असफलताएं ही सफलता का पहला पायदान है परंतु जब, तब मार्ग उचित हो |
सफलता प्रप्त करने के लिये सबसे पहले जरुरी है की आप क्या करना चाहते है , क्या पाना चाहते है | क्यों की बिना लक्ष्य के मार्ग ही प्रशस्त नहीं होता है | यह भी आवश्यक है कि आप समय रहते यह तय कर ले की आप क्या करना चाहते है वरना समय खुद तय कर लेगा की आपका क्या करना है |
सफलता का सही अर्थ कभी भी यह नहीं की हम केवल बड़ी बड़ी डिग्रियों का, बड़े बड़े पदों का सपना देखे|
''सच्ची और अच्छी सफलता संस्कारो से पलती है, सभ्यता जिसे जीवित रखती है ,और आपका व्यवहार आपकी सफलता को चिन्हित करता है |''
आपकी सफलता वहां है जहां आपके माता पिता आपसे बहुत खुश है , आप पर पूरा विश्वास करते है और स्वयं को आपकी माता और आपका पिता कहने पर अपने आप में गौरव महसूस करते है , फुले नहीं समाते है |
आपकी सफलता वहां है जहा आपके दादा दादी बुजुर्ग आपको अपने कुल का , अपने समाज का, अपने देश का , अपनी धरती का वह दीपक मानते है जो सदैव दीप्तिमान रहकर चारो और प्रकाश ही प्रकाश फैलता है| आपकी अर्धांगिनी स्वयं को संसार की सबसे से सौभाग्यशाली स्त्री समझती है | आपके बच्चे सफलताओ की सीढी पर चढ़ने के लिए आपको अपना आदर्श बनाते है|
इंसान सफल तब होता है जब वह अपने कार्यो को निष्ठां पूर्वक करे और अपने कार्यो में देश हित को सदैव प्राथमिकता दे | व्यक्ति मात्र पद प्राप्त होने से ही सफल नही हो जाता उसे उस पद की गरिमा को भी बनाये रखना भी आवश्यक है|
यदि हमें अपने जीवन में अच्छी और सच्ची सफलता प्राप्त करनी है तो सबसे पहले हमें उचित प्राथमिकताएं तय करनी होगी | उसी के आधार पर हम सफलता के पायदान पर पाँव रखने के काबिल हो पाएंगे |
यदि विद्यार्थी जीवन की प्राथमिकताओं की बात करे तो विद्यार्थी की मात्र एक ही प्राथमिकता है - अपने माता पिता , गुरु/शिक्षक की आज्ञा का पालन करना| मात्र एक प्राथिमकता ही विद्यार्थी जीवन में पूर्ण रूप से सफल बनाने में सहायक होगी|
-आदित्य दवे