अभय ने अपने घर परिवार में सभी को आभा के बारे में बता दिया, मां ने कहा देखो! ध्यान से मेरी बात सुनो!
"अभय वह शहर की रहने वाली है क्या गांव में वह निर्वाह कर पाएगी!
"ऐसा तो नहीं होगा, कि वह तुम्हें भी अपने साथ शहर लेकर चली जाए ,और हमारा परिवार बिखर जाए!
आज तक मैंने अपने परिवार को एकजुट रखा है किसी को भी अलग नहीं होने दिया।
अभय ने कहा !एक बार आप आभा से मिल लो वो आपको पहली नजर में ही पसंद आ जाएगी, इतना तो मुझे भरोसा है!आभा पढ़ी लिखी लड़की है !
"लेकिन उतनी समझदार भी है !पहले आप उससे एक बार मिलना और उसके बाद कोई फैसला लेना!
"अगले दिन आभा और उसकी मम्मी अभय के घर मिलने आए !
आभा की मम्मी घर देखकर बहुत खुश हुई ,घर गांव में जरूर था ,लेकिन पक्का था, और सुंदर बना हुआ था ,घर के अंदर ही छोटा सा बगीचा बना हुआ था ,घर में सारी आधुनिक सुख सुविधाएं उपलब्ध थी, लेकिन रहन सहन थोड़ा थोड़ा सा ग्रामीण था,
बड़ी दोनों बहुएं ने आभा को देखते ही आंखों आंखों में अपने देवर जी को हां कर दी !दोनों भाइयों ने भी हां कर दी!
लेकिन !अभी तक अभय की मां चुपचाप बैठी थी !और आभा को देखे जा रही थी।
आभा सभी को नमस्ते कर कर पूरे आत्मविश्वास के साथ बैठी हुई थी !और सभी से बहुत स्नेह के साथ बड़ी शालीनता से बातचीत कर रही थी,आभा की बातों में अपनी पढ़ाई लिखाई को लेकर लेशमात्र भी घमंड़ और अंहकार नहीं था! कुछ ही देर में दोनों बहूएं आभा के साथ धुल मिल गई थी!आभा की मम्मी को भी घर परिवार पसंद आ गया था!
कुछ देर बाद आभा की मम्मी ने जाने की इजाजत मांगी! और जब वह जाने लगी तो अभय की मम्मी ने कहा अभय मुझे बहू बहुत पसंद है !
बहू से पूछ ले ?
"कि हम उसे पसंद है कि नहीं?
"हम गांव में रहते हैं ,और यह शहरी लड़की है!
"देख लो !
"पूछ लो ?
"क्या यह यहां पर हमारे साथ रह पाएगी !
आभा ने अभय को आंखों से ही हां कर दी! अभय ने पूरे आत्मविश्वास के साथ मां से कहा मां यह हमारे साथ यही रहेगी !आप इस बात की चिंता छोड़ दो, मुझे आभा पर पूरा भरोसा है!
तभी अभय की ने मम्मी ने आभा और उसकी मम्मी को बैठने लिए कहा!और मीठा मुंह करवा करवाया !
अभय की मम्मी ने आभा को अपने हाथों के कंगन उतार कर पहनते हुए कहा! बहन जी आज से आपकी बेटी हमारी बहू है, मुझे अपने बेटे के लिए उसकी बेटी आभा बहुत पसंद है!
आभा की मम्मी ने कहा मैंने अपनी बेटी को अपने जीवन के सभी निर्णय खुद लेने सिखाएं है!ये फैसला भी इसी का है, और आभा के फैसले से मैं भी सहमत हॅ!
इसकी खुशी में ही मेरी खुशी शामिल है और मुझे भी यह रिश्ता मंजूर है ।
"दोनों ने एक दूसरे का मुंह मीठा करवाया और आभा ने सभी बड़ों के पैरों को छूकर आशीर्वाद लिया!
अभय और आभा दोनों बहुत खुश थे, आखिर उनके प्यार की जीत हुई थी।
कुछ समय बाद दोनों का विवाह हो गया! आभा ने भी धीरे धीरे सभी का मन जीत लिया! सभी आभा की तारीफ करते नहीं थकते थे, और आभा ने एक दिन मां जी से पूछ कर घर में ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का पूछ लिया !
मां ने कहा ठीक है बहू !गांव में लड़कियों को कोचिंग के लिए शहर में जाना पड़ता है,अगर तुम पढना चाहतीं हो तो मैं कल ऊपर वाला कमरा साफ करवा दूंगी!
"माझी ने कहा! आभा बहू तुम यह ट्यूशन पढ़ा सकती हो गांव में अकाउंट पढ़ाने वाले सिर्फ सिर्फ एक ही अध्यापक थे! और वह भी शहर से आते थे!
आभा के कोचिंग सेंटर खोलते ही अनगिनत बच्चे उसके पास पढ़ने आने लगे !
धीरे धीरे बच्चों की संख्या बढ़ने लगी! आभार ने साथ वाला कमरा भी साफ करवा कर बीच की दीवार हटाकर कमरा बड़ा कर लिया !
"अब आभा का कोचिंग सेंटर काफी मशहूर हो गया था! आभा कुछ पैसे अपने पास रखती थी !और बाकी के सारे पैसे सासू मां को देने लगी,
माझी भी उसकी सूझबूझ से बहुत खुश थी ! आज से पहले किसी ने ऐसे काम नहीं किया था।आभा की जेठानी ने आभा से कहा, तुम हमारे बच्चों को पढ़ा लिखा दिया करो,घर का काम तो हम दोनों ही कर लेती है!
अब बच्चों के अच्छे नम्बर आने लगे, तो मांजी और भी खुश रहने लगी,
सारा दिन आभा बहू की तारीफ करते नहीं थकती थी,और उसे बहू के रूप में पाकर अपने आप को धन्य महसूस कर रही थी, दोनों जेठानी ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी ,इसीलिए अपने बच्चों को खुद नहीं पढ़ा सकती थी, लेकिन जब से आभा ने उनके बच्चों को पढ़ना शुरू कर तो वह दोनों भी आभा से घर का काम कम करवाने लगी,
अभय भी अपने काम में व्यस्त रहता है ,लेकिन आभा की हर काम में मदद करता था,
धीरे धीरे आमदनी बढ़ने लगी और घर की स्थिति और बेहतर होती चली गई !आभा की दोनों जेठानी ने आभा से कहा अब तुम हमें भी कोई काम बताओ हम भी सारा दिन घर में काम करने के बाद खाली रहती है !
घर के पुरुष अपने अपने काम पर सुबह ही निकल जाते हैं, और शाम तक वापस आते हैं ,तब तक हम घर में खाली होती हैं ,
"अगर तुम्हें कुछ कुछ काम बताओ तो हम भी तुम्हारी तरह कुछ पैसे कमाकर अपना खर्च निकाल सकती हैं !
आभा तो जैसे इसी मौके का इंतजार कर रही थी !उसे यह सुनकर बहुत खुशी हुई!
जब उसने अभय को यह बात बताई !अभय भी बहुत खुश हुआ की उसकी कम पढ़ी लिखी भाभियां भी कुछ काम करना चाहती हैं,
"यानी कि वह भी आत्मनिर्भर बनना चाहती है !
उसने आभा से कहा !
आभा तुम उनके लिए कुछ ना कुछ काम का इंतजाम करो,जो वहां घर बैठे कर सकें!
आभा ने कई बार अपनी बड़ी जेठानी से अपने सूट ब्लाउज बनवाए थे ,और वह उन्होंने बहुत ही सुंदर बनाई थे! बड़ी जेठानी का हाथ सिलाई कढ़ाई में बहुत साफ था कुछ भी ड्रेस बनवा ली हो एक बार डिजाइन देख लेती तुरंत भी ऐसी ड्रेस नहीं यार कर देती थी!
आभा ने अगले ही दिन एक बढ़िया सिलाई मशीन लाकर दी, और उस पर पैर और मोटर भी लगवा दी,
"और अपनी जेठानी से कहा!
"दीदी आप इस पर सिलाई का काम शुरू कर सकते हो!
जो बच्चे ट्यूशन पढ़ने आते हैं मैं उनको आपके बारे में बता दूंगी! अगर किसी को उस सिलवाना होगा तो वह आपके पास आ जाएगा!कुछ समय बाद धीरे धीरे बड़ी जेठानी के पास भी सिलाई का काम आने लगा !
अभी खाली समय में बड़ी बहू को काम करते देखकर मां जी को इस बात की बहुत खुशी हुई !
दूसरी जेठानी को मिठाईयां बनाना बहुत अच्छे से आता था, तरह-तरह की मिठाइया और कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाती रहती थी!
आभा ने उसके हूनूर को निखारने में उसकी मदद करने लगी! और मिठाई बनाने की सामग्री ना कर उसको दीदी पहले घर में आप प्रैक्टिस करो और जब आपका हाथ सेट हो जाएगा तो आप मिठाई बनाना शुरू कर देना!
धीरे-धीरे उसकी बनाई मिठाइयां सभी को पसन्द आने लगी,आभा ने आस पास की सभी दुकानदारों से बात कर ली ! और उसने कुछ ऑर्डर आसपास की दुकानों से उसे दिलवा दिए ,और दूसरी जेठानी भी अपने काम में व्यस्त हो गई!
अब दोनों बहुत खुश रहती थी ,घर का काम करने के बाद अपने-अपने काम करती रहती थी!
धीरे धीरे तीनो बहुओं ने एक दूसरे को मदद करके घर और बाहर दोनों जगह काम संभाल लिया ।
आभा ने कुछ रूपए इकठ्ठा कर करके अपने लिए स्कूटी ले ली। अब बाजार के सारे काम जल्दी से पूरे कर लेती थी ! जबकि पहले शाम को पुरुषों के आने के बाद ही बाजार की काम पूरे होते थे!
कुछ भी सामान चाहिए होता ,,तो वह जल्दी से बाजार से जाकर ले आती थी !
दो जेठानी को किसी भी सामान की आवश्यकता होती तो वह आभा को लेकर आने को बता देती थी! और कभी कभी खुद आगा के साथ जाकर अपनी पसंद का सामान ले आती थी अब दोनों जेठानी बहुत खुश थी, कई बार बच्चों के प्रोजेक्ट का सामान लेने में आभा के साथ चली जाती थी!
आभा ने इस तरह धीरे धीरे सारे घर को अपनी आभा से भर दिया।
सासु मां यही कहती मेरी आभा बहू ने अपनी सूझबूझ से सारे परिवार को एकजुट करते हुए सभी को आत्मनिर्भर बना दिया !
"आभा ने मेरे घर को नई रोशनी से जगमग कर दिया ।
अम्मा जी जहां जाती वही उनके परिवार की मान बढाई होती ।
अपनी प्रशंसा सुनकर मांझी का ह्रदय खुशी से गदगद हो उठाता, और सभी गांवों वाले बस यही कहते अभय और आभा ने मिलकर सारे परिवार की किस्मत को बदल दिया!
अब धीरे धीरे सभी सदस्यों का रहन सहन में बदलाव आने लगा!बच्चों की पढ़ाई लिखाई की जिम्मेदारी आभा ने संभल ली थी, और घरेलू काम की जिम्मेदारी दोनों जेठानियों ने संभल ली थी! तीनों बहूओ और बेटो को एक साथ परिवार में रहते देखकर मांझी की आत्मा तृप्त हो गई थी,
"आभा से अच्छी शिक्षा मिलने से गांव की बहुत सारी लड़कियों ने अपने स्कूल में प्रथम स्थान प्राप्त करने में कामयाब रही।
"आज अपने परिवार को एकजुट और आत्मनिर्भरता से परिपूर्ण होते हुए देखकर, मांजी बस यही सोच रही थी!
"जिसे आभा को वह शहरी लड़की कह कर अस्वीकार कर रही थी!
उसी शहरी लड़की ने उनके परिवार को अपनी आभा की रोशनी से जगमगा कर दिया!
आज उन्हें अपनी सोच पर ग्लानि हो रही थी!और वह यह बात अच्छी तरह समझ गई थीं कि उनकी शहरी लड़की बहुत ही सुंदर , सुशील, समझदार और संस्कारी, गुणवान लड़की है,
आज उन्हें इस शहरी लड़की पर गर्व महसूस हो रहा था !
✍️उमा शर्मा"अर्तिका "