एक बार की बात है भगवान शंकर और पार्वती मां कहीं जाते रहते हैं तो माता पार्वती बोलती हैं कि मैं मृत्युलोक में थोड़ा कुछ मनुष्यों की परीक्षा लेना चाहती हूं तो भगवान शंकर भोले तुम कैसी परीक्षा लेना चाहती हो फिर मां पार्वती बोली आप मेरे साथ में चलो हम गरीबी और अमीर लोगों की परीक्षा देना चाहते हैं कि किसके दिल में दया है
उसके बाद भगवान शंकर और पार्वती एक गरीब का भेष बनाते हैं और एक सेठ के पास जाते हैं और उसको बोलते हैं हमको एक रात का आश्रय चाहिए लेकिन वह शेर अपने हिसाब किताब में बिजी रहता है और शंकर पार्वती की तरफ देखता भी नहीं रुक ₹1 देता है और बोलता है इधर से चले जाओ हमारे पास रहने की जगह नहीं है उसके बाद शंकर और पार्वती जी चल देते हैं लेकिन भगवान शंकर जाते जाते उसको और धन देते हैं तो पार्वती बोलती हैं एक तो इसने हम लोगों को ठिकाना भी नहीं दिया और आप इसको और अमीर बना दिए फिर भगवान शंकर बोलते हैं अपने में लिखते पढ़ते ही उसी में खत्म हो जाएगा इसको भक्ति करने के लिए नहीं मिलेगा उसके बाद कुछ दूर आगे जाते हैं तो एक साधु बाबा रहते हैं शंकर भगवान और मां पार्वती साधु की कुटी में जाते हैं तो साधु पूछते हैं आने का कारण बताओ
फिर भगवान शंकर बोलते हैं हम दोनों पति-पत्नी है हम लोगों को आज रुकने का ठिकाना चाहिए फिर साधु बोलते हैं आप इधर रुक जाइए उसके बाद भगवान शंकर और मां पार्वती साधु की कूटी में रात को रुक जाते हैं साधु उन लोगों को खाना बनाते हैं और सोने के लिए स्थान देते हैं उसके बाद जब सुबह होती है तो शंकर भगवान और पार्वती साधु से विदा लेकर चल देते हैं
जब शंकर भगवान कुछ दूर पर जाते हैं तो साधु के पास एक गाय रहती है वह तुरंत मर जाती है तो पार्वती पूछते हैं कि आप बड़े निर्दई हो वह सेठ ने हम लोगों को ठिकाने नहीं दिया तो उसको और अमीर बना दिए और एक साधु ने हम लोगों को ठिखाना दिया तो एक गाय थी उसको भी मार डाले
फिर भगवान शंकर पार्वती से बोले तुम नहीं समझोगे एक गाय रहेगी तो गाय के खाना पानी चारे के बारे में सोचेंगे और अगर जब गाय भी नहीं रहेगी तो इस सिर्फ हमारे बारे में सोचेंगे हमारी पूजा करेंगे हीरे दुनिया से मुक्त हो जाएंगे गाय रहने पर इनको थोड़ा बांधा रहती थी और वह जो तुम सेठ की बात कर रही हो वह उसी में लिखते लिखते खत्म हो जाएगा उसको पता भी नहीं चलेगा दुनिया में क्या हो रहा है कैसे हुआ धर्म कर्म क्या है कुछ भी नहीं मालूम नहीं चलेगा