एक भगवान शंकर का सेवक रहता है उसका नाम भस्मासुर रहता है वह भगवान शंकर की बहुत सेवा करता है तो भगवान शंकर उस पर प्रसन्न हो जाते हैं भगवान शंकर थोड़े ही पूजा से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं वही हाल भस्मासुर के साथ भी हुआ भगवान ने बोला भस्मासुर मैं तुम्हारे पर बहुत प्रसन्न हूं जो तुमको वरदान मांगना हो मुझसे मांग ले फिर भस्मासुर बोला भगवान अगर आप पर प्रसन्न है तो मुझे अमर होने का वरदान दे दीजिए फिर भगवान शंकर भोले मैं अमर होने का वरदान नहीं दे सकता क्योंकि सृष्टि के खिलाफ है तुमको और जो भी दूसरा वरदान मांगना है तो मांग ले तो फिर भस्मासुर सोच समझकर बोला अगर मुझे वरदान देना चाहते हैं तो दूसरा वरदान मुझे यह दे दीजिए कि मैं जिसके सर पर अपनी तर्जनी उंगली रखो वह जलकर के भस्म हो जाए फिर भगवान शंकर ने कहा एवंमस्त जाओ ऐसा ही होगा उसके बाद भस्मासुर बहुत प्रसन्न हुआ वह अब कैलाश से निकलकर जाने लगा कि पहले जिसके सर पर हाथ रखकर से परीक्षालु की वरदान सही है कि गलत है जब भस्मासुर कैलाश से निकलकर कुछ आगे बढ़ता है तो सब मनुष्य उसको देख कर के भागने लगते हैं तभी भस्मासुर को नारद जी मिल जाते हैं तो भस्मासुर नारद जी को बोलता है कि मैं तुम्हारे सर पर हाथ रखना चाहता हूं कि मेरे वरदान की परीक्षा हो जाए फिर नारद जी बोलते हैं अनजान बनते हुए कैसा वरदान है तो भस्मासुर बोला की भगवान शंकर ने मुझे वरदान दिया है कि तुम जिसके सर पर हाथ रखोगे वह भस्म हो जाएगा सबसे पहले आप ही मिले हो मैं आप ही के सर पर हाथ रखकर वरदान की परीक्षा लेना चाहता हूं फिर नारद जी डर गए और भस्मासुर को बोले मैं तुमको एक सलाह देता हूं
मेरे सर पर हाथ रख कर के तुम को कुछ नहीं मिलेगा अगर मैं जो बताता हूं वैसा करो तो तुमको एक सुंदर स्त्री मिल जाएगी फिर भस्मासुर बोला वह कैसे फिर नारद जी बोले मेरी सलाह मानो तुम जाओ शंकर जी के सर पर हाथ रखो अगर जल गए तो ठीक है तुम पार्वती से शादी कर लेना अगर नहीं जले तो बोल देना कि तुम्हारा वरदान झूठा है तुमको इससे अच्छी सलाह कोई नहीं दे सकता है इसके लिए मेरी मानो और तुम वापस कैलाश पर जाओ और शंकर जी के सर पर पहले हाथ रख के तुम अपने वरदान की परीक्षा ले लो मेरे सन्यासी के ऊपर हाथ रखोगे तुम को क्या फायदा मिलेगा
फिर भस्मासुर को लगता है कि नारद जी ठीक बोल रहे हैं उसके बाद भस्मासुर वापस कैलाश पर लौट जाता है और शिव जी को बोलता है कि मैं तुम्हारे सर के ऊपर हाथ रख कर तुम्हारे वरदान की परीक्षा लेना चाहता हूं उसके बाद भगवान शंकर उधर से भागने लगते हैं
फिर भस्मासुर भगवान शंकर का पीछा करता है भगवान शंकर भागते भागते बैकुंठ लोक विष्णु जी के पास चले जाते हैं और विष्णु जी से अपने वरदान की सारी बात बता दे फिर विष्णु जी बोलते हैं आप एक काम करो अंदर छुप जाओ मैं भस्मासुर को देखता हूं फिर भगवान विष्णु देखते हैं कि भस्मासुर इधर आ रहा है तो भगवान विष्णु एक सुंदर स्त्री का भेष बनाते हैं जो कि विश्व सुंदरी रहती है
भस्मासुर जैसे ही पहुंचता है विश्व सुंदरी भगवान विष्णु उसको बोलते हैं इधर कहां जा रहे हो तो भस्मासुर बोला मैं शिव जी को ढूंढ रहा हूं उसके बाद भस्मासुर विश्व सुंदरी बनी विष्णु भगवान को एकटक देखने लगता है और बोलता है मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं फिर वह सुंदरी बोलती है मैं तुमसे शादी नहीं करना चाहती हूं फिर भस्मासुर बोलता है मेरे पास सब कुछ है मैं स्वर्ग लोख से धरती तक सारा सब कुछ मेरा है तुम मुझसे शादी करोगी तो मैं तुमको तीनो लोग की मालकिन बना दूंगा
फिर विश्व सुंदरी बोलती है कि मैं उसी से शादी करूंगी जो नित्य में मेरा बराबर का साथ देगा फिर भस्मासुर बोलता है मैं नाच में तुम्हारा साथ देने के लिए तैयार हूं निरहुआ सुंदरी थोड़ी देर तक इधर-उधर का नित्य करने के बाद वह सर पर हाथ रख के नित्य करने लगती है फिर भस्मासुर को याद नहीं रहता है मैं सर पर हाथ रखने से मैं भस्म हो जाऊंगा उसके बाद वह भी अपने सर पे हाथ रख कर के नाचने जाता है ज्यो सर पर हाथ रखता है वह भस्म हो जाता है उसके बाद भगवान शंकर बाहर आते हैं तब विश्वास जी भगवान शंकर से बोलते हैं वरदान देते समय कम से कम सोच समझ लीजिएगा लेकिन भगवान शंकर किसको कभी भी थोड़े भक्ति प्रसन्न होकर के वरदान दे देते हैं क्योंकि देवों के देव महादेव बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाने वाले देव हैं