शोर्यगाथा ⚔️🚩विर वनविरसिंहजी झाला ⚔️ %(Zinzuwada state)% 🌸🦚💦🌴🚩 राज हलपालदेवजी मखवानकी 17 मू पेढी गुजरात मे राजा छत्रछालजी झाला इस 1407 मे पाटडी राजधानी मे झालावाड मे राज्य करते थे उनके छोटे भाइ कूंवर वनविरसिंह जो बहूत बहादूर थे परदुखभंजन थे, उनको रात्रि मे स्वप्न मे चारण देवी माता राज राजेस्वरी (राजबाई) ने कहा की ,,,,,,, हे विर पूत्र मे तूम पर प्रसन्न हू तूजे मे झीन्झूवाडा गढ की राजगादी देती हू सूमरा मुसलमान न् वहा मेरे स्थानक पर गौवध कीया प्रजा परेशान हे तूम सूबहा होते ही आक्रमण करो ओऱ वहा राज करो मे तेरी सहायक देवी बनूगी पाटडी के पास झीन्झूवाडा गढ ऐक महत्वपूण लश्करी थाना था राज हलपालदेवजी ने बहादूरी से जिता था उसको पहले लश्करी थाना सोलंकी सिध्धराज ने बनाया था उसका जन्म वहा हूवा था जो मूसलमानो ने जित लिया था उसका गढ मजबूत था उलको जितना बहूत ही मूश्किल था सुमरा थानदार था विर वनविरसिंहने कहा ये गढ किल्ला जितना बहूत कठीन काम हे हजारो का सैन्य वहा मौजूद रहता हे देवी मा मे सैन्य शक्ती बिना मात्र पराक्रम से केसे जीत पावूगा? तो माता राजल ने कहा तूम पस्चिम दरवाजे से हूमला करो वहा गढ पर श्रीफल चूंदडी मिलेगे मेे तेरे भाले पर देव चकलि बनकर बिराजूगी ये सूकून मिले तब यूध्ध करना विज्य तेरा हे वचन देती हू रात को बडे भाइ महाराजा को जगाकर वनविरसिंह ने बात की उनसे पर ऱाजा सोच भी नही शकते थे की झीन्झूवाडा जीत सकते हे हम, क्यूकी 5000 सूमरा की विशाल सेना वहा मोजूद थी पर विर भाइ वनविरसिंह की विरता और श्रध्धा पर उनको पूरा विस्वास था. गले लगाकर अनूमती दी ओर कहा मे गर्व से वहा फतेह करो जित के बाद मै तेरा राजतिलक करूगा. "मरदां मरणो हक्क है, उबरसी गल्लांह। सापुरसां रा जीवणा, थोड़ा ही भल्लांह।। सूबहा होते ही 500 घूडस्वारो के साथ विर वनविरसिंहने माँ राजल पर भरोसा करके 5000 दूश्मनो के सामने केसरीया कीया विर यूवान राजपुत के इस शोर्य रंग को देखने आकाश से अप्सरा उतरने लगी झीन्झूवाडा गढ के नेरूत्य कोने पर कंकू थापा श्रीफल चूंदडी मिले ओर माँ राजल देव चकली बनकर भाले पर बिराजे तब जयजयकार हूइ गढ के पस्चिम दरवाजे से हूमला किया "ઉગશે સૂર્ય નવ યુગ નો , રાખશે લાજ માં રાજેશ્વરી. હારજે ના હામ આ ચક્રવ્યૂહ થી રાખજે ધૈર્ય"તું "કેસરી"." भीषण युध्ध शूरू हूवा. गढ के दरवाजे तोडना कठीन काम था उपर झहरीले तीर बरस रहे थे. उधर मा राजल के कोप से सूमरा सैन्य को बिमारी कोलेरा रोग फैल गया था. झाडा उल्टी ओर ताव से दूश्मनो को कमजोर कर दीया कोइ बिना डर के शराब पीनेमे मस्त थे तभी विर राजवी ने ऊट को आडश रखकर हाथी से पश्चिम दरवाजा तोड दीया फिर भयंकर यूध्ध हूवा विरता की कसोटी थी वनविरसिंह ने केसरीया किया था रोद् रूप धारन कीया भयंकर दहाड हर हर महादेव के नारे गूंजे अकेेले वनवीरसिंहने ही 500 सूमरा को काट दीया लाशो के ढेर पर अनेक घाँव से रक्तरंजित कुँवर दहाड रहे थे सैन्य को होशला दे रहे थे राजपूत के मस्तक कटने पर कइ धड लड रहे थे. थोडे राजपुत बडी सुमरा कि सेना पर भारी पड रहे थे अप्रतिम शोर्य देखकर दुश्मन सेना मे भय उत्पन्न हुवा दो दीन यूध्ध चला 2000 सूमरा को सैन्य ने मार दीया ओर अंत मे सुमरा सरदारको सो दुश्मन सैनिकोके बिच धोडे पर खडे होकर कुँवर वनवीरसिंहने सिंहगर्जना के साथ ललकारा और अपने भमरीया भाले से जोरदार प्रहार किया कि सब कांप उठे सुमरा को भाले ने घोडे के सहीत विंधकर धरती मे जडा दीया.. झीझुवाडा की त्राहीमाम जनता का भी साथ मिला बाकी सभी दूश्मन विर घायल शेर वनविरसिंहकी दहाड सूनकर भागने लगे राजपुत उनका शीश काटने लगे और इस 1408 मे भव्य जित हूइ पूर्वज हलपालदेवजी का विरता का इतिहास फिर दोहराया गया विज्य से फिर झीझुवाडा गढ राजपुतोने जितकर केशरीया लहराया विज्यनाद हूवा झालावाड का गौरवदीन बना ये महान विज्य आज भी गढ पर शिललेख मौजूद हे बडे भाई राज छत्रछालजी भी पधारे गले लगाया स्नेह से विर भाइ को ओर झीन्झूवाडा गादी पर राज वनविरसिंह का राजतिलक किया जयनाद हूवा तब माँ राजल प्रगट हूवे ओर आशिष दीया की अब से मे सहायक देवी बनूगी ओर सभी तरफ मूसलमान रीयासत होते हूवे भी आपको कभी कोइ हरा नही पायेगा आज तक वहा झाला राजपूतो का राज हे सभी राजगादी बदली पर झीन्झूवाडा को कोइ मेवाड की तरह पराजीत नही पाया सोमनाथ पर जब आक्मन हूवे तब पहेला यूध्ध यहा होता था पर जित नही पाते कभी मुसललमान इस किल्ले को छोडकर और आगे बढते थे ऐकवार तो सोमनाथ का लूटा हूवा धन भी यहा से योजना बनाकर मुसलमान सैन्य को रण मे गूमराह कर वापस लिया विर वनविर सिंह की ये विजय इतिहास मे सूवर्ण अक्षर मे लिखी गयी 🚩"राह संघर्ष की जो चलता है,वो ही संसार को बदलता है। जिसने रातों से है जंग जीती,सुबह सुर्य बनकर वही चमकता है।🚩🚩 जय झालावाड जय माँ रखजबाइ 🌸🦚🚩🌸🌴🚩