सुनो,
जब-जब तारा टूटता है मैं उसकी उतरती हुई चाल में तुम्हें तलाशता हूं। इसलिए नहीं कि तुम्हें आगे बढ़ना पसंद है बल्कि इसलिए की जब तुम मेरी पलकों को अपनी हथेलियों से ढंक लेती और फिर पीछे हटती तो मुझे तुम्हारा वो खिलखिलाते हुए पीछे हटना बहुत भाता था।
टूटते हुए तारे को देखकर अक्सर तुम्हें याद कर लेता हूं इसलिए नही कि वह चांद से दूर जा रहा होता है बल्कि इसलिए की खुद टूटते हुए भी वह लोगों में मन्नत मांगने का जरिया होता है। जो खुद टूटते हुए भी औरों को जोड़े कितनी फुरसत से बनाया होगा रब ने उसे। जैसे गुलाब टूटकर भी दो दिलों को जोड़ता है वैसे ही तुम्हारा वजूद मुझे खुद से ऊपर तुमसे जोड़े रखता है।
मैं इसलिए नज़र बचाकर पीछे मुड़कर नही देख रहा था की मैं पुष्टि कर सकूं की तुम मुझे देख रही हो या नही बल्कि तुम्हारे चेहरे के नूर को बिना देखे बढ़ने वाले उस अंतराल को मैं हरगिज़ और नही बढ़ाना चाहता था।
मुझे तुम्हारे खुश रहने से कई गुना ज्यादा अच्छा लगता है तुम्हारा रूठ जाना क्योंकि उस समय तुम्हारे दिमाग में सिर्फ़ मैं ही चल रहा होता हूं और तुम्हें मनाने का वो हक उस समय में सिर्फ़ मुझे ही मिला होता है और तुम्हारा वो रूठा हुआ चेहरा जैसे-जैसे मेरे बोल उठने के तुरंत बाद चुपके से मुस्कुरा उठता हैं ना! बस मुझे हामी मिल जाती है तुम्हारे खुश हो जाने की। मैं हमेशा चाहता हूं की हर रोज़ की पहली मुस्कान तुम्हारे लबों पर मेरी वजह से हो।
मुझे गम, आंसू, मजबूरी, विवशता और नाकामी इन सबसे दूर रखता है सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारा साथ होना। मैं भी कोशिश करूंगा तुम्हारे हर पल में रंग भरने की। तुम मेरे साथ तब तक बिल्कुल रहना जब तक तुम खुद चाहती हो। इस प्रेम में मैं तुम पर रत्ती भर भी दबाव नही चाहूंगा।
तुम्हारा मन्नत*
🙌💖
(उपर्युक्त पंक्तियां प्रेम के एहसासों में डूबकर और कल्पना में खोकर लिखी गई है। मौजूदा जिंदगी में ऐसा कोई शख्स नही है जिसे मैं यह सब बोलूं..!🤩
दिली अनुरोध है कृपया टिप्पणी/कॉमेंट करते समय इस बात का ध्यान रखा जाए की आपके कॉमेंट्स काल्पनिक दुनिया में रह रहे उस शख्स को आहत न करें। उम्मीद है आप लोग प्रेम की इन चंद पंक्तियों का अपने दिल की गहराईयों से लुत्फ उठाएंगे। किसी साथी को कुछ सुझाव देना हो अथवा कुछ त्रुटी या सुधार संबंधित अपनी बात रखनी हो तो DM में आपका तहेदिल से इस्तकबाल है।)