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प्रेम कविता

21 सितम्बर 2021

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।।एक बारिश मुझमें भी है।।

जो सबके जेहन में है ऐसी ख्वाहिश मुझमें भी है।
भीगा सके जो ये जहां एक बारिश मुझमें भी है।। १

मैं करतब हूं साहब एक गुजारिश मुझमें भी है।
भीगा सके जो ये जहां एक बारिश मुझमें भी है।। २

जग का हित करती जो एक साजिश मुझमें भी है।
भीगा सके जो ये जहां एक बारिश मुझमें भी है।। ३

मैं भी जलता हूं अंदर से एक आतिश मुझमें भी है।
भीगा सके जो ये जहां एक बारिश मुझमें भी है ।। ४

हर घर खुशियां बरसे एक सिफारिश मुझमें भी है।
भीगा सके जो ये जहां एक बारिश मुझमें भी है ।। ५

© ®
~ अनिल मालवीय मन्नत*


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