।।एक बारिश मुझमें भी है।।
जो सबके जेहन में है ऐसी ख्वाहिश मुझमें भी है।
भीगा सके जो ये जहां एक बारिश मुझमें भी है।। १
मैं करतब हूं साहब एक गुजारिश मुझमें भी है।
भीगा सके जो ये जहां एक बारिश मुझमें भी है।। २
जग का हित करती जो एक साजिश मुझमें भी है।
भीगा सके जो ये जहां एक बारिश मुझमें भी है।। ३
मैं भी जलता हूं अंदर से एक आतिश मुझमें भी है।
भीगा सके जो ये जहां एक बारिश मुझमें भी है ।। ४
हर घर खुशियां बरसे एक सिफारिश मुझमें भी है।
भीगा सके जो ये जहां एक बारिश मुझमें भी है ।। ५
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~ अनिल मालवीय मन्नत*