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सोच

मानव सिंह राणा 'सुओम'

4 अध्याय
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3 पाठक

यह पुस्तक लघु कथाओं का संग्रह है। एक सोच है हमारे समाज की । एक आईना है युवा पीढ़ी के लिए। समाज के हर तबके के लिए हमारे दिल मे कितनी इज्जत है। हम कितना सहयोग कर सकते हैं।  

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पुस्तक के भाग

1

रोशनी

3 फरवरी 2022
1
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शाम का समय था। हल्की ठंड पड़ रही थी। रजत तेजी से घर की तरफ बढ़ा चला जा रहा था। उसे आज माँ के हर वो कष्ट याद आ रहे थे जो उन्होंने झेले थे। घरों में खाना बनाने जाती थी माँ तब जाके उसकी पढ़ाई पूरी हुई। आज र

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जाको राखै साईंया मार सकै ना कोय

3 मार्च 2022
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सुबह हो चुकी थी ।  गोमती देवी बहुत बेचैन हो रही थी । पता नहीं क्यों आज मन नहीं लग रहा था ? अभी तक महेंद्र प्रकाश के नहीं आने से मन नहीं लग रहा था। किसी अनहोनी की आशंका से दिल बैठा जा रहा था। तभी अचानक

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मेरा गुनाह क्या था ?

4 मार्च 2022
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आज शाम के नियम के हिसाब से मैं पार्क में जाकर बैठा ही था कि अचानक  तीन महिलाओं को अपने सामने से दौड़कर जाते हुए देखा । उन महिलाओं ने जाकर एक युवक को पकड़ लिया और पीटना शुरू कर दिया। " जरूर कुछ गलत हरकत

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रात

28 मार्च 2022
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कैसी - कैसी होती रात दिल मे सपने बोती रात मैं पलकों में नींद लिए हूँओढ़ चद्दरा सोती रातहार बड़ी दिन कहता हैआशा नई जगाती रातरूठा हुआ हूँ खाली मैंसाथ में मेरे होती रात नया सवेरा आएगा बसआशा

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