मानव सिंह राणा 'सुओम'
सोच
यह पुस्तक लघु कथाओं का संग्रह है। एक सोच है हमारे समाज की । एक आईना है युवा पीढ़ी के लिए। समाज के हर तबके के लिए हमारे दिल मे कितनी इज्जत है। हम कितना सहयोग कर सकते हैं।
सोच
यह पुस्तक लघु कथाओं का संग्रह है। एक सोच है हमारे समाज की । एक आईना है युवा पीढ़ी के लिए। समाज के हर तबके के लिए हमारे दिल मे कितनी इज्जत है। हम कितना सहयोग कर सकते हैं।
एक और बागवान
एक ऐसे बागवान की कहानी है जो जिन्दगी भर सींचता रहा दरख्तों को ये सोचकर जब बुढ़ापा आएगा तो छाया का आसरा देंगे पर उसे पता ही नहीं था एक दिन एक तूफान आएगा और सब कुछ उड़ा कर ले जायेगा . वो दरख्त सबसे पहले उजड़ गया और तब उस बागवान के साथ क्या-क्या हुआ ये जान
एक और बागवान
एक ऐसे बागवान की कहानी है जो जिन्दगी भर सींचता रहा दरख्तों को ये सोचकर जब बुढ़ापा आएगा तो छाया का आसरा देंगे पर उसे पता ही नहीं था एक दिन एक तूफान आएगा और सब कुछ उड़ा कर ले जायेगा . वो दरख्त सबसे पहले उजड़ गया और तब उस बागवान के साथ क्या-क्या हुआ ये जान
मानव सिंह राणा 'सुओम' की डायरी
दिल क्या चाहता है और हम क्या करते हैं । डायरी है प्रतिबिंब उसका। बस कुछ छुए अनछुए पहलुयों को सँजोती ये डायरी। आपके सामने प्रस्तुत है।
मानव सिंह राणा 'सुओम' की डायरी
दिल क्या चाहता है और हम क्या करते हैं । डायरी है प्रतिबिंब उसका। बस कुछ छुए अनछुए पहलुयों को सँजोती ये डायरी। आपके सामने प्रस्तुत है।