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लोकतंत्र - एक धोखा

4 जनवरी 2018
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🌹पहुंचते कम है जहाँ, पहुंचाए ज्यादा जाते हैपैसो के दम पर देखो क्या -2 खेल खिलाये जाते है 🌹🌹सुनाई जाती थी जहाँ, पंच परमेश्वर की कहानियाँदेखो उस देश मे अब, अन्याय के लिये घर जलाये जाते है 🌹🌹🌹कर्म नही जहाँ, वहाँ धर्म कहाँजहाँ धर्म नही, वहाँ शर्म कहाँ

खेल पद, प्रभाव और पैसो का

26 अगस्त 2017
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🌹पहुंचते कम है जहाँ, पहुंचाए ज्यादा जाते हैपैसो के दम पर देखो क्या -2 खेल खिलाये जाते है 🌹🌹सुनाई जाती थी जहाँ, पंच परमेश्वर की कहानियाँदेखो उस देश मे अब, अन्याय के लिये घर जलाये जाते है 🌹🌹🌹कर्म नही जहाँ, वहाँ धर्म कहाँजहाँ धर्म नही, वहाँ शर्म कहाँ

दौर -चाहतों का

4 जून 2017
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यह दौर है चाहतों का कुछ ना कुछ अब निखर जाएगाटूटा जो तिलस्म प्यार का सब कुछ ताश की तरह बिखर जाएगाउसने पूछा कल क्यो चाहते हो आवारो कि तरहहमने कहा क्या रखा है राज है इसे रहने दो तहखानों की तरहमगर उसे भी मंजूर नही था कोई यूं ही चाहे उसे बेगानो की तरहतो क्या हुआ वो बिछुड़ गई दो पल

स्वार्थ और टुकड़े

31 मई 2017
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जो काम हिन्दुओ को बांटने का ईसाई और इस्लाम नही कर पाया वो आरक्षण ने कर दिखायाराजा राममोहन राय,दयानंद सरस्वती ,ईश्वर चंद विद्यासागर, मदन मोहन मालवीय , गांधी , राजस्थान में रामदेव जी, स्वयं संत रैदास जी आदि महापुरुषों ने काफी योगदान दिया एवम स्वयं निस्वार्थ सेवा की परन्तु आरक्षण प्रेमियो को उनकी सेवाए

धर्म-मेरी एक छोटी सी व्याख्या

30 मई 2017
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हम सनातन है क्योंकि हम ब्रह्मांड की हर चीज़ को देव तुल्य मानते है फिर चाहे वो सजीव हो या निर्जीव हम पत्थर भी पूजते है तो नदी,कुएं ,समुद्र यहां तक की पानी पीने का लौटा भी ...हमारे लिए कोई चीज़ छोटी या बड़ी नही होती ...हमारे लिए किसी चीज़ का दुर्गुण मायने नही रखता...मायने रखता है उसका सद्गुण और उपयोग ....

दायरे

1 मई 2017
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धीरे धीरे ही सही अब हम भी बड़ा रहे है अपनी पहचानो के दायरेक्या दोस्ती क्या दुश्मनी सभी को दिल से निभा रहे है हर रिश्ता बूरा या भला नहीं होता हमेशासब कुछ बदल जाता है सागर जब पड़ती है चोट समय के आईने में

उम्मीदों का दौर

29 अप्रैल 2017
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यह दौर है उम्मीदों का अभी हर सीने में आग हैछलनी है हर सीना यहाँ शोषण उपेक्षा की मार सेआज भाई से भाई मिला रहा है कदमचाहत है बस एक जिंदगी स्वाभिमान कीहर एक यहाँ अब पूंछता है खुद सेतुम नहीं तो कौन होगाआज नहीं तो कब होगातू क्यों फ़िक्र करता है कल कीआज तो सँवार ले छुट गय

मोहरे राजनीति के

27 अप्रैल 2017
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🌹 सागर की कलम से🌹ऐसा ही होता है अक्सर राजनीति के गलियारों मेंआग लगा दी जाती है भावो के अंगारो से 🌷पल में ज्वाला सुलग उठी जब आशा के अंगारो सेसबने अपनी रोटी सेकी आती जाती साँसों से 🌷🌷कौन जलेगा कौन बचेगा होड़ लगी शमियानो मेंशर्म कुछ भी बची नहीं अब रा

सच्चाई आज की

26 अप्रैल 2017
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*** सागर की कलम से ***अन्याय का आतंक मचा है न्याय ढूंढे आसरासत्य का संघर्ष असत्य से सत्ता दम घोटे न्याय का *****कातिल आँधी तेज बहुत झूठ की सत्य का दीप बुझाने कोदीप ने खुद को बचाया फिर लेकर सहारा आड़ का *****अँधेरे को दी है आज चुनौत

सागर की कलम से

25 अप्रैल 2017
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🌹सागर की कलम से🌹 यह धरना प्रदर्शन का दौर है यहाँ राजनीती चहुँ और हैसजग होकर देख तू बन्दे सब ने पहन रखी खोल है 🌹यह कैसा भ्रम फैलाया है पागलपन सब पर छाया हैलेकर नाम भलाई का राशन सबने जुटाया है 🌹🌹दिल्ली कहाँ दूर है कहते है हम मशहू

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