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दौर -चाहतों का

4 जून 2017

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यह दौर है चाहतों का कुछ ना कुछ अब निखर जाएगा टूटा जो तिलस्म प्यार का सब कुछ ताश की तरह बिखर जाएगा उसने पूछा कल क्यो चाहते हो आवारो कि तरह हमने कहा क्या रखा है राज है इसे रहने दो तहखानों की तरह मगर उसे भी मंजूर नही था कोई यूं ही चाहे उसे बेगानो की तरह तो क्या हुआ वो बिछुड़ गई दो पल के मुसाफिरों की तरह मुसाफिर थे फिर मुसाफिर रह गए हम एक टूटे हुए ख्वाबो की तरह चल रहा हूँ मैं फिर भी मंजिलों की तलाश रहेगी उम्र भर क्योकि कब सूरज कब चाँद रुकते है एक सफल राहगीर की तरह

सुख सागर गौत्तम की अन्य किताबें

रेणु

रेणु

प्रिय गौतम आपकी रचनाये बहुत दिन के बाद पढ़कर अच्छा लग रहा है ---- बहुत बढ़िया लिखा आपने --------- वेरी गुड -

24 जून 2017

नृपेंद्र कुमार शर्मा

नृपेंद्र कुमार शर्मा

बहुत अच्छा लिखा

4 जून 2017

नृपेंद्र कुमार शर्मा

नृपेंद्र कुमार शर्मा

बहुत अच्छा लिखा

4 जून 2017

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ताकत- मेरे स्वाविभान की

21 अप्रैल 2017
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चाहता तो हर हार को जीत में बदल देतातेरे दिल को अपनी तस्वीर में बदल देताअरे हम तो मजबूर थे अपनी महोब्बत की मजबूरी सेवरना तेरी तस्वीर की सूरत ही क्या तेरी तकदीर की हर चीज़ बदल देता

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कोई शक?

22 अप्रैल 2017
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जिन्हें शक था हमारी वफादारी पर, सुना है बेवक्त मारे गए, अपनों की गद्दारी से जो लड़ते रहे, उम्र भर तेरे मेरे में,सुना है कोई नहीं बचा, उन्हें पूछने वाला आखिरी वक्त ......रिश्ते सिर्फ फ़रिश्ते निभाते है.. कोई शक?????

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फर्क पड़ता है??

22 अप्रैल 2017
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सीखा है मेने अक्सर इतिहास की गलियों सेजो खुद्दार होते है वो कभी गद्दार नही होतेऔर जो गद्दार होते है वो कभी कुर्बान नही होतेमगर यह भी सच है की अक्सर खुद्दारों की कुर्बानियो पर सजा करती है गद्दारो की गद्दियाँ

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झूठा अभिमान

23 अप्रैल 2017
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उड़ती पतंग को देखकर ना जाने क्यों यह ख्याल आयाछूकर आसमान भी जमीं का ही आसरा पायावजूद को मिलना ही होता है जमीन में एक दिनफिर छूकर क्यों आसमान को तू इतना इठलाया कर वक्त गवाया

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कड़वा सच

24 अप्रैल 2017
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अब तक गैरो से लड़ता रहा मैं अपनों को बचाने के वास्तेअब अपनों से लड़ रहा हूँ यारो खुद को बचाने के वास्तेयह जिंदगी एक भी एक शाम है एक ना एक दिन ढल जायेगीक्या पता ???कल यह भी हो खुद से भी लड़ना पड़े खुद को बचाने के वास्ते

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सागर की कलम से

25 अप्रैल 2017
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🌹सागर की कलम से🌹 यह धरना प्रदर्शन का दौर है यहाँ राजनीती चहुँ और हैसजग होकर देख तू बन्दे सब ने पहन रखी खोल है 🌹यह कैसा भ्रम फैलाया है पागलपन सब पर छाया हैलेकर नाम भलाई का राशन सबने जुटाया है 🌹🌹दिल्ली कहाँ दूर है कहते है हम मशहू

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सच्चाई आज की

26 अप्रैल 2017
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*** सागर की कलम से ***अन्याय का आतंक मचा है न्याय ढूंढे आसरासत्य का संघर्ष असत्य से सत्ता दम घोटे न्याय का *****कातिल आँधी तेज बहुत झूठ की सत्य का दीप बुझाने कोदीप ने खुद को बचाया फिर लेकर सहारा आड़ का *****अँधेरे को दी है आज चुनौत

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मोहरे राजनीति के

27 अप्रैल 2017
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🌹 सागर की कलम से🌹ऐसा ही होता है अक्सर राजनीति के गलियारों मेंआग लगा दी जाती है भावो के अंगारो से 🌷पल में ज्वाला सुलग उठी जब आशा के अंगारो सेसबने अपनी रोटी सेकी आती जाती साँसों से 🌷🌷कौन जलेगा कौन बचेगा होड़ लगी शमियानो मेंशर्म कुछ भी बची नहीं अब रा

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उम्मीदों का दौर

29 अप्रैल 2017
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यह दौर है उम्मीदों का अभी हर सीने में आग हैछलनी है हर सीना यहाँ शोषण उपेक्षा की मार सेआज भाई से भाई मिला रहा है कदमचाहत है बस एक जिंदगी स्वाभिमान कीहर एक यहाँ अब पूंछता है खुद सेतुम नहीं तो कौन होगाआज नहीं तो कब होगातू क्यों फ़िक्र करता है कल कीआज तो सँवार ले छुट गय

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दायरे

1 मई 2017
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धीरे धीरे ही सही अब हम भी बड़ा रहे है अपनी पहचानो के दायरेक्या दोस्ती क्या दुश्मनी सभी को दिल से निभा रहे है हर रिश्ता बूरा या भला नहीं होता हमेशासब कुछ बदल जाता है सागर जब पड़ती है चोट समय के आईने में

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धर्म-मेरी एक छोटी सी व्याख्या

30 मई 2017
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हम सनातन है क्योंकि हम ब्रह्मांड की हर चीज़ को देव तुल्य मानते है फिर चाहे वो सजीव हो या निर्जीव हम पत्थर भी पूजते है तो नदी,कुएं ,समुद्र यहां तक की पानी पीने का लौटा भी ...हमारे लिए कोई चीज़ छोटी या बड़ी नही होती ...हमारे लिए किसी चीज़ का दुर्गुण मायने नही रखता...मायने रखता है उसका सद्गुण और उपयोग ....

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स्वार्थ और टुकड़े

31 मई 2017
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जो काम हिन्दुओ को बांटने का ईसाई और इस्लाम नही कर पाया वो आरक्षण ने कर दिखायाराजा राममोहन राय,दयानंद सरस्वती ,ईश्वर चंद विद्यासागर, मदन मोहन मालवीय , गांधी , राजस्थान में रामदेव जी, स्वयं संत रैदास जी आदि महापुरुषों ने काफी योगदान दिया एवम स्वयं निस्वार्थ सेवा की परन्तु आरक्षण प्रेमियो को उनकी सेवाए

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दौर -चाहतों का

4 जून 2017
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यह दौर है चाहतों का कुछ ना कुछ अब निखर जाएगाटूटा जो तिलस्म प्यार का सब कुछ ताश की तरह बिखर जाएगाउसने पूछा कल क्यो चाहते हो आवारो कि तरहहमने कहा क्या रखा है राज है इसे रहने दो तहखानों की तरहमगर उसे भी मंजूर नही था कोई यूं ही चाहे उसे बेगानो की तरहतो क्या हुआ वो बिछुड़ गई दो पल

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खेल पद, प्रभाव और पैसो का

26 अगस्त 2017
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🌹पहुंचते कम है जहाँ, पहुंचाए ज्यादा जाते हैपैसो के दम पर देखो क्या -2 खेल खिलाये जाते है 🌹🌹सुनाई जाती थी जहाँ, पंच परमेश्वर की कहानियाँदेखो उस देश मे अब, अन्याय के लिये घर जलाये जाते है 🌹🌹🌹कर्म नही जहाँ, वहाँ धर्म कहाँजहाँ धर्म नही, वहाँ शर्म कहाँ

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लोकतंत्र - एक धोखा

4 जनवरी 2018
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🌹पहुंचते कम है जहाँ, पहुंचाए ज्यादा जाते हैपैसो के दम पर देखो क्या -2 खेल खिलाये जाते है 🌹🌹सुनाई जाती थी जहाँ, पंच परमेश्वर की कहानियाँदेखो उस देश मे अब, अन्याय के लिये घर जलाये जाते है 🌹🌹🌹कर्म नही जहाँ, वहाँ धर्म कहाँजहाँ धर्म नही, वहाँ शर्म कहाँ

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