यह हमारा सौभाग्य है कि हमारा जन्म मानव रूप में हुआ और और भारत देश की देवभूमि में हुआ। इस देवभूमि भारत की पवित्र धरती पर श्रीकृष्ण भगवान ने अपने श्रीमुख से लगभग 5100 वर्ष पूर्व चौथी बार भगवद्गीता का दिव्य उपदेश दिया।
अर्जुन के माध्यम से यह गीतोपदेश हमारे लिए बड़ा ही सुखकारी है। यदि हम सुखी होना चाहें तो गीता पढ़ने की आदत डाल लेनी चाहिए।
गीता ग्रन्थ में पग पग पर हमारे कल्याण की बातें आई है, ये देखो कुछ उदाहरण:
१ कर्मन्येवाधिकारस्ते मा फलेशु कदाचन...
(भगवान ने कर्म करने की आज्ञा दी और कर्मफल की इच्छा न करने की सलाह दी है।)
२. योगक्षेमम वहाम्यह्म....
(जो हमें प्राप्त है उसकी रक्षा तथा जो अप्राप्त है। उसकी प्राप्ति का वचन दिया है भगवान ने।)
३. अहम त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षियिश्यामि...
(शरण हो जाने पर भगवान ने सभी पापों से मुक्त करने का हमें वचन दिया है।)
४. आगमोपायिनो अनित्या तान तितिक्षस्व भारत...
(आने जाने वाली अनित्य बातों में उलझो मत, सहन करो, ऐसी सलाह दी है।
।। जय भगवद्गीता।।
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