सुनसान राह मौत का मंजर, अक्सर ऐसा होता है अंध विश्वास के चलते लोग हमेशा अपनी बुद्धि पर पत्थर रखकर आँखें मुंन्द कर उसपर भरोसा कर अपनी राह से भटक जातें है, ऐसा ही कुछ इस रचना में हुआ है, राहुल के साथ!
नमस्ते पाठकों, pls मुझे फॉलो करें रेटिंग करें और अपने साथ जोड़े रखें,,,लिखा था कभी पैग़ाम उसको प्यार भरे दिल से,,, कुछ खास नहीं कमाता था में, वो कह गयी ऐसी में सोया करती हूँ में, तुम क्या खर्चा उठाओगे मेरा, डर जाओगे मेरे खर्चों और बिजली के बिल से🤣🤣🤣🤣