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नमस्ते पाठकों, pls मुझे फॉलो करें रेटिंग करें और अपने साथ जोड़े रखें,,,लिखा था कभी पैग़ाम उसको प्यार भरे दिल से,,, कुछ खास नहीं कमाता था में, वो कह गयी ऐसी में सोया करती हूँ में, तुम क्या खर्चा उठाओगे मेरा, डर जाओगे मेरे खर्चों और बिजली के बिल से🤣🤣🤣🤣 🤔🤔🤔🤔🤔🤔

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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-06-15

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इश्के जुनून 💔

इश्के जुनून 💔

इक सफर ऐसा भी रहा ए जिंदगी! तेरे दिये हुए हर गम को भुलाने में! भूल कर भी ना भुला पाएँ हम! तेरे दिये हुए हर इक गम को! यह सोचकर शायद कोई कसर तो नहीं रह गई तेरी, ए जिंदगी हमें आजमाने में!

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इश्के जुनून 💔

इश्के जुनून 💔

इक सफर ऐसा भी रहा ए जिंदगी! तेरे दिये हुए हर गम को भुलाने में! भूल कर भी ना भुला पाएँ हम! तेरे दिये हुए हर इक गम को! यह सोचकर शायद कोई कसर तो नहीं रह गई तेरी, ए जिंदगी हमें आजमाने में!

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सुनसान राह मौत का मंजर

सुनसान राह मौत का मंजर

सुनसान राह मौत का मंजर, अक्सर ऐसा होता है अंध विश्वास के चलते लोग हमेशा अपनी बुद्धि पर पत्थर रखकर आँखें मुंन्द कर उसपर भरोसा कर अपनी राह से भटक जातें है, ऐसा ही कुछ इस रचना में हुआ है, राहुल के साथ!

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सुनसान राह मौत का मंजर

सुनसान राह मौत का मंजर

सुनसान राह मौत का मंजर, अक्सर ऐसा होता है अंध विश्वास के चलते लोग हमेशा अपनी बुद्धि पर पत्थर रखकर आँखें मुंन्द कर उसपर भरोसा कर अपनी राह से भटक जातें है, ऐसा ही कुछ इस रचना में हुआ है, राहुल के साथ!

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छलिया चुड़ेल

छलिया चुड़ेल

ये कहानी है एक ऐसी चुड़ेल की जो बला की खूबसूरत दिखाई देती थी उसकी आँखे काली काली जिसको देख कर लोग उसकी आँखों में डूब जाया करते थे ,सुंदरता ऐसी थी की जो उसे देखकता था ,उसके हुस्न का कायल हो जाता दीवाना हो जाता उसपर मर मिटने को उतारू हो जाया करता था, अ

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ईबुक:

₹ 14/-

छलिया चुड़ेल

छलिया चुड़ेल

ये कहानी है एक ऐसी चुड़ेल की जो बला की खूबसूरत दिखाई देती थी उसकी आँखे काली काली जिसको देख कर लोग उसकी आँखों में डूब जाया करते थे ,सुंदरता ऐसी थी की जो उसे देखकता था ,उसके हुस्न का कायल हो जाता दीवाना हो जाता उसपर मर मिटने को उतारू हो जाया करता था, अ

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खौफ की वो रात

खौफ की वो रात

हाल ही में रमन का ट्रांसवर दिल्ली शहर के मुंसीबल ऑफिस में हुआ था! रमन भोपाल का रहने वाला था! दिल्ली में ना तो कोई उसका सगा संबंधी रहता था! और नाहीं कोई यार दोस्त रहता था! रमन एक २५ साल का नावजवाँन युवक था! जिसकी शादी की बात चल रही थी! रमन के घर वाले

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खौफ की वो रात

खौफ की वो रात

हाल ही में रमन का ट्रांसवर दिल्ली शहर के मुंसीबल ऑफिस में हुआ था! रमन भोपाल का रहने वाला था! दिल्ली में ना तो कोई उसका सगा संबंधी रहता था! और नाहीं कोई यार दोस्त रहता था! रमन एक २५ साल का नावजवाँन युवक था! जिसकी शादी की बात चल रही थी! रमन के घर वाले

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शर्मसार

शर्मसार

पति पत्नी का रिश्ता एक ऐसा पवित्र रिश्ता है, जिसकी डोर प्यार और विश्वास से जुड़ी  होती है। जिस रिश्ते में प्यार और विश्वास नहीं होता वो रिश्ता मात्र शरीरिक सुख और भोग विलास से जुड़ा होता है। और ऐसे रिश्तों में अक्सर दरार पड़ जाती है। ऐसे रिश्तों कि उ

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शर्मसार

शर्मसार

पति पत्नी का रिश्ता एक ऐसा पवित्र रिश्ता है, जिसकी डोर प्यार और विश्वास से जुड़ी  होती है। जिस रिश्ते में प्यार और विश्वास नहीं होता वो रिश्ता मात्र शरीरिक सुख और भोग विलास से जुड़ा होता है। और ऐसे रिश्तों में अक्सर दरार पड़ जाती है। ऐसे रिश्तों कि उ

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अमावस्या वो काली अंधेरी रात २

15 जून 2022
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आखिर मुरलीधर जी अचानक कहाँ गायब हो गए। आइये आगे कि रचना में देखतें हैं अब आगे,,,,,,,, अमर मुरलीधर जी को वहाँ ना पाकर और भी ज्यादा घबरा गया था। और इधर उधर मुरलीधर जी को खोजते हुए आवाज लगा रहा

आंवस्या वो काली अंधेरी रात १

15 जून 2022
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शहर से बाहर जाने वाले रास्ते पर एक ढाबा था। शहर से अच्छी खासी दूरी पर वो ढाबा था, तक्रिबंन १५ किलोमीटर की दूरी पर था , विक्रांत - विक्रांत ढाबा, ढाबे का नाम था। आने जाने वाले वाहन ट्रक आदि

सुनसान राह मौत का मंजर

15 जून 2022
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राहुल हर दिन की तरह अपने काम पर जाने के लिए अपने घर से निकलता है, जैसे ही राहुल जाने के लिए हमेशा के रास्ते पर पाव रखता ता है, उसके सामने से अचानक एक काली बिल्ली गुजरती है, उसका रास्ता काट देती

खौफ की वो रात

15 जून 2022
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कहतें है दिल्ली दिल वालों का शहर है, अब रमन भी दिलवालों के शहर पहोच गया था देखतें है, रमन का स्वागत दिल्ली शहर कैसा करता है, क्या रमन को दिल्ली रास आयेगी या उसका दिल देहला देगी! दिल्ली के प्लेटफॉर्म

मंजिले

15 जून 2022
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राहों को ताकने से मंजिल नहीं मिलती! कोटों के पथ पर चलना पड़ता है! किनारों पें रुकी कश्तियाँ कभी पार नहीं लगती! कश्तीयों को पानी में उतारना पड़ता है! चाहे कितने भी पथरीले हो रास्ते! मंजिल को पाने

गुलाम 💔

15 जून 2022
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हसरतें हमारे दिल में तमाम थी! जिसे हम अपना हम साया समझते थे! वो तो हरे नोटो की गुलाम थी! ,💔

मगरूर 💔

15 जून 2022
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बने थे हम आशिक उनके, मगरूर थे उनके प्यार में! हमें क्या पता था कत्ल करना है पेशा उनका! कत्ल खाने है उनके शहर के हर बजार में! कत्ल करते है, वो आशिकों का! हमारे जैस

इंतजार 💔

15 जून 2022
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आँखों को इंतजार है तेरा ! होठों पर बस नाम है तेरा ! इंतजार में तेरे ये पलके झुकती नहीं ! मैं कैसे मान जाऊ बेवफा यार है मेरा!

डोर

15 जून 2022
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बिखरे हुए सपनों को फिर से सजाने के ख्वाब ना बुनो यारों ! बुना तो टूटी हुई मोतियों की माला को जाता है! डोर और मोतियों का रिश्ता तो है सदियों पुराना! टूटती है डोर तो मोती बिखर जाता हैं! ये कलय

मिजाज 💔

15 जून 2022
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🌹फूल समझ कर जिसको कर गए भूल हम 🌹! 🌵कमब्बख्त उनका काटों से भी तेज मिजाज था!🌵 🌵🌵🌵🌵🌵🌵🌵🌵🌵🌵🌵🌵🌵🌵

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