तेरे ख़याल मेरी खलवतों को भाते हैं
फ़रिश्ते जैसे किसी आँगन में उतर आते हैं
दीपक शर्मा 'दीपक'
स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित
3 नवम्बर 2021
तेरे ख़याल मेरी खलवतों को भाते हैं
फ़रिश्ते जैसे किसी आँगन में उतर आते हैं
दीपक शर्मा 'दीपक'
स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित