तेरा ख़्याल दिल से गुज़ारा
तो दिलकश हुआ हर नज़ारा
कोई और चेहरा न भाये
दिखा जबसे जलवा तुम्हारा
मुझे दोस्त अपना बना लो
लगे अजनबी शह्र सारा
कोई शब मेरे घर गुज़ारो
मुझे घर लगे मेरा प्यारा
बिगड़ता नहीं दर्द से कुछ
मगर प्यार ने तेरे मारा
रही ना तुम्हें हमसे निस्बत
गया शौक़ जीने का सारा
कहीं छन की आवाज़ आयी
लिया नाम किसने हमारा
किसे याद आयेगी मेरी
रहा मैं सदा बेसहारा
चमन में मिलें फूल भी कुछ
न हो ख़ार से अब गुज़ारा
ख़ुशी जब नहीं रास आई
तो दर्दों से पाया सहारा
अभी हौसला तुम न हारो
अभी दूर ‘दीपक’ किनारा
दीपक शर्मा ‘दीपक’