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तिमिर नहीं तेज बने

9 नवम्बर 2021

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आज हमारे चारो तरफ़ एक घमंड रूपी अंधकार फ़ैला हुआ है, ओर हम इस तिमिर मै कुछ इस तरह लिप्त हो गए है कि अगर हमे कही से कोई प्रकाश पुंज दिखाई भी देता है, तो हम उसे अहंकार वस देखना उचित हि नही समझते...
हम दूशरो कि गलतियो को देखने मै कुछ इस तरह खो गए है कि हमे अपने हि व्यक्तितव की ध्यान नही है.
अगर आगे चलना है,तो दूशरो को नही खुद को खुद का प्रतिबिम्ब समझना जरुरी है, जितना समय हम दूशरो को समझने मै खर्च करते जा रहे है, हम स्वंम  को उतने ही गर्त मै डालते जा रहे है
हमे मितभाषी बनने कि जरुरत है, ना कि मिथ्याभाषी ,हमे लोगो मै अच्छी बाते ढूंढनी है न कि उनमे गलतिया ,,, हमे अग्यानता से ग्यान कि तरफ़ चलने की जरुरत है,  अगर हमे कहि ग्यान प्राप्त होता है तो वो जगह कोई भी हो हमे ग्यान प्राप्त कर लेना चाहिए......
                              *राजा आदर्श गर्ग*

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