तुम मेरे जीवन की सबसे सुखद घड़ी हो
दिल के हर गहनों में, साँसों जैसी जड़ी हो....
जीवन में मधुमास हो, चन्दन जैसी साँस हो
सूख गए आँगन में, सावन की एक झड़ी हो......... तुम मेरे जीवन
शंकर की शक्ति से ,हम तुम जब से मिले हैं
अनुभूत हुआ विष्णु के सानिध्य में ,लक्ष्मी जैसे खड़ी हो ..... तुम मेरे जीवन
बरबस सरल हुई है, जीवन की परिभाषा,
यौवन से सिंचित है, मन की हर अभिलाषा
अदृश्य हुए तमस के डेरे, तुम वो जादू की छड़ी हो.... तुम मेरे जीवन
बिछ जाते हैं नयन तुम्हारे, मेरे मिलन की प्यास में
हो अधीर सीता जैसे राम मिलन की आस में
महकी हुयी माला में , तुम फूलों की लड़ी हो..... तुम मेरे जीवन
ठहर गयी ओस सीप पर, मोती बनने की आस में
स्वछंद हुयी गोपी वन में, मुरलीधर की रास में
राधा के गजरे में , तुम चंपा की कलि हो ...... तुम मेरे जीवन
अंग- अंग रोमांचित है, पाकर साथ तुम्हारा
पुलकित होता है जैसे नदिया संग किनारा
जीवनं के हर द्वन्द में, संग पर्वत जैसे खड़ी हो.... तुम मेरे जीवन