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मन को प्राण दो, दो इस पहलु का हल

13 मई 2016

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मन को प्राण दो, दो इस  पहलु का हल

वीराने से मन आँगन मैं , कर दो कोलाहल  

नीरवता का है अँधियारा, मुक्त व्योम में लगती है कारा  ( जेल)

दूरी को सामान कर दो, लो अब कोई पहल. .....वीराने से मन ........

चौखट खाली चौबारे खाली, चिड़िया नहीं चहकने वाली

ध्वनि का आह्वान कर दो, वीराना जाये जल......वीराने से मन ........

मन के भवन बने हैं खंडहर, सूनेपन से लदे हैं परिसर

नींव का सामान दे दो,बन जाए कोई महल.......वीराने से मन......

विचलित मन को संशय घेरे, एकाकीपन के हैं सब डेरे

सहर ( सुबह ) की अज़ान कर दो ,पंछी जाएँ  निकल ........वीराने से मन,...

चाँदनी हो गयी चुभने वाली, माली सिसके संग फूल और डाली

शीतलता का वितरण कर दो, लहके मरू स्थल..........वीराने से मन .....

शून्य भरा अंतस मैं बिछकर , शुष्क नयन ज्यों आग हो बुझकर

सूखे मन को सिंचित कर दो, दे दो गंगा जल .........वीराने से मन ........

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मन को प्राण दो, दो इस पहलु का हल

13 मई 2016
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मन को प्राण दो, दो इस  पहलु का हलवीराने से मन आँगन मैं , कर दो कोलाहल  नीरवता का है अँधियारा, मुक्त व्योम में लगती है कारा  ( जेल)दूरी को सामान कर दो, लो अब कोई पहल. .....वीराने से मन ........चौखट खाली चौबारे खाली, चिड़िया नहीं चहकने वाली ध्वनि का आह्वान कर दो, वीराना जाये जल......वीराने से मन ......

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तुम ....

17 मई 2016
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तुम मेरे जीवन की सबसे सुखद घड़ी होदिल के हर गहनों में, साँसों जैसी जड़ी हो.... जीवन में मधुमास हो, चन्दन जैसी साँस हो सूख गए आँगन में, सावन की एक झड़ी हो......... तुम मेरे जीवन  शंकर की शक्ति से ,हम तुम जब से मिले हैं अनुभूत हुआ विष्णु के सानिध्य में ,लक्ष्मी जैसे खड़ी हो  ..... तुम मेरे जीवन  बरबस सर

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