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'' तुम्हारी याद ''

6 जुलाई 2016

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बहुत याद आती हो तुम 

गए पहर जब 

धूप पेड़ों की छत से 

डालियों की 

खिड़कियों तक उतरती है 

वो फर्श पर लिख जाती है 

कई-कई तरीकों से 

नाम तुम्हारा 

और एक दर्द सी 

एक याद सी 

बहुत सताती हो तुम 

शाम जब बादलों से 

आसमान घिरा होता है 

पंछी घर लौट रहे होते है 

मेरे ख्याल भी 

बिना तुम से मिले 

अनखुले खत से 

लौट आते हैं !!!

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'' तुम्हारी याद ''

6 जुलाई 2016
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बहुत याद आती हो तुम गए पहर जब धूप पेड़ों की छत से डालियों की खिड़कियों तक उतरती है वो फर्श पर लिख जाती है कई-कई तरीकों से नाम तुम्हारा और एक दर्द सी एक याद सी बहुत सताती हो तुम शाम जब बादलों से आसमान घिरा होता है पंछी घर लौट रहे होते है मेरे ख्याल भी बिना तुम से मिले अनखुले खत से लौट आते हैं !!!

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