तुमसे जो दो शब्द हुए थे ओ गोरी वो प्यारी रे
आँखें अब सोना न चाहे रात भर सारी रे
सपने भी अब क्या देखें ,बात औरों से क्या करें
खुद से ही बातें कर कर सपने हो गए भारी रे।
तुमसे जो दो शब्द हुए थे ओ गोरी वो प्यारी रे।
तेरे नशीले शब्द प्यार के
व्यसनी बनाया तेरी अदा का
न उतरी है तब से अब तक तेरी वो खुमारी रे
तुमसे जो दो शब्द हुए थे ओ गोरी वो प्यारी रे।
परवाह वाले वो भाव तेरे
बैठ गए हैं अंतर्मन में
आ जा जीवन बन जा मेरी तू मधु सी प्यारी रे
तुमसे जो दो शब्द हुए थे ओ गोरी वो प्यारी रे।
अब लिख दूँ आ तुमको मैं ,आ रच दूँ मैं तुमको हीं
प्यार है नहीं स्याही रे
कुछ नहीं अब जग से मांगू गीत के किरदार में
जो अब मिल गयी हो, प्रियतम तू मेरी रे।
तुमसे जो दो शब्द हुए थे ओ गोरी वो प्यारी रे।
~~गौरव