जब प्रणय अंजाम पहुँचता
तेरी चूड़ियों की खन खन,पायलों की छम छमवो सब सुनने को जी करता हैये तो हासिल नही प्रारब्ध मुझे बस तुम्हे लिखने को जी करता है।मेहँदी तुम रचती रहती मैं तुमको रचता रहताबार बार वो पढ़ती तुमएक बार मैं जो लिखता।तेरे सुमधुर रसाल होंठ कोमान मधुरस मैं पीता,नयन तुम्हारी गंगा में मैंपवित्र चित्रित खुद को देखतागर क