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जब प्रणय अंजाम पहुँचता

9 अप्रैल 2016

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तेरी चूड़ियों की खन खन,

पायलों की छम छम

वो सब सुनने को जी करता है

ये तो हासिल नही प्रारब्ध मुझे 

बस तुम्हे लिखने को जी करता है।

मेहँदी तुम रचती रहती 

मैं तुमको रचता रहता

बार बार वो पढ़ती तुम

एक बार मैं जो लिखता।

तेरे सुमधुर रसाल होंठ को

मान मधुरस मैं पीता,

नयन तुम्हारी गंगा में मैं

पवित्र चित्रित खुद को देखता

गर कभी जल छलक जाते तो

रिश्ता और पूजनीय हो जाता।

कोमल कर तेरी लक्ष्मी की

लिए हाथ में अपने मैं

स्वयं को अति समृद्ध मानता

तेरी सुंदर भागवत काया को

मान ईश्वर प्रसाद स्वयं भोग लगाता।

प्रेम के नव राही,

का होते हम आदर्श

होते जब तुम हम-राही,

का होते हम आदर्श   

अहोभाग्य हम दोनो के

बना दृष्टान्त जग आँखों पर रखता

ये सब होता,ये तब होता

जब प्रणय अंजाम पहुँचता

                           ~~~गौरव कुमार

9 अप्रैल 2016

9 अप्रैल 2016

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'क्यों है इतना'

5 मई 2015
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आज के इस दौर में लोग अपना मूल्य खो बैठे हैं उनपर में ये कुछ पंक्तियाँ लिखा हूँ।

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'ख्वाहिशों को पर लगेंगे ,अभी तो जमीं पर हूँ ,आसमां में भी जहां बसेंगे'

5 मई 2015
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आँसू अगर न होते

6 मई 2015
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अपनी अभिलाषा

5 जून 2015
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तुमसे जो दो शब्द हुए थे

28 नवम्बर 2015
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तुमसे जो दो शब्द हुए थे ओ गोरी वो प्यारी रेआँखें अब सोना न चाहे रात भर सारी रेसपने भी अब क्या देखें ,बात औरों से क्या करेंखुद से ही बातें कर कर सपने हो गए भारी रे।तुमसे जो दो शब्द हुए थे ओ गोरी वो प्यारी रे।तेरे नशीले शब्द प्यार के व्यसनी बनाया तेरी अदा कान उतरी है तब से अब तक तेरी वो खुमारी रेतुमसे

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मुक्तक

2 दिसम्बर 2015
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तुमको भूलूँ या न भूलूँ मैं हूँ वहीं उलझाक्या थी प्यार हम दोनों में अब तक नहीं समझाइन सब बातों के कारण परस्पर एक से तो हैंतुम मुझको नहीं समझी मैं तुमको नहीं समझा।                                              ~~गौरव 

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जब प्रणय अंजाम पहुँचता

9 अप्रैल 2016
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तेरी चूड़ियों की खन खन,पायलों की छम छमवो सब सुनने को जी करता हैये तो हासिल नही प्रारब्ध मुझे बस तुम्हे लिखने को जी करता है।मेहँदी तुम रचती रहती मैं तुमको रचता रहताबार बार वो पढ़ती तुमएक बार मैं जो लिखता।तेरे सुमधुर रसाल होंठ कोमान मधुरस मैं पीता,नयन तुम्हारी गंगा में मैंपवित्र चित्रित खुद को देखतागर क

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