थोड़ा बीमार क्या हुए हजारों था कि उसने मन्नत के बांध दिए
तुम्हारे होने की खुशी में गांव के हर हिस्से में ढिंढोरा पीट दिए तुम्हारी हर शरारत को हंसी हंसी में टाल दिया
और तुम किसके हिस्से में हो मां पूछकर उसे जीते जी मार दिया..
थोड़ी मुसीबत क्या आई एक ढाल बनकर तुम्हारे सामने खड़ी रही
अपने लिए सपने तुम्हारी आंखों से देखती रही
अपने लिए छुपाए पैसों से तुम्हारे खर्चे पूरे करती रही
और तुम बंटवारे में उसकी दवाई के खर्चे को लेकर झगड़ते रहे
देखकर वह तो जीते जी ही मर गई...
द्याड़ी मजदूरी कर कर तुम्हारे स्कूल की फीस भर्ती रही
तुम्हें पढ़ा-लिखा कर बड़ा आदमी बनाने के सपने देखती रही
खुद भूखी रहकर वह तुम्हारे पेट भर्ती रही
और तुमने एक पल में कह दिया कि
तुमने हमारे लिए किया ही क्या है मां सुनकर वह तो जीते जी ही मर गई...
पूरा दिन बहू के आगे नौकरानी की तरह काम करती रही
और एक चाय का कप मांगने पर 10 बातें उसे ही सुनाई गई
रात को थक हार कर टांगे अपने आप ही दबाती रही
और जब बेटा शाम को आकर कहे कि तुम पूरा दिन करती क्या हो मां सुनकर वह तो जीते जी ही मर गई....