उनके शोलों से दिल मत जलाइए |
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तानों को समझो |
बदजुबानों को समझो |
बेहोशी में कहे गये बयानों को समझो |
हर बात पर आग बबूला मत होइए |
बिन बरसात गीला मत होइए |
समझिए उनके अरमानों को
नासमझी में लाल पीले मत होइए |
यह चमन आपका भी है |
अमन से नाता आपका भी है |
उनके फेंके शोलों से
अग्नि प्रज्वलित होने मत दीजिए |
जल्दी से पानी बरसाआे |
सुलगते शोलों को बुझाओ |
उन्हें पता क्या इन शोलों से
आग भी लग जाती है |
घर तो घर ,
दिलों को भी जला जाती है |
इनके अरमानों पर पानी फेरो
सावन जरा झूम के घटा घेरो
बरसो बादल ,
धरती का हाल उखड़ रहा |
तेरे बिना यह चमन जैसे उजड़ रहा |
कृष्ण तवक्या सिंह
08.07.2017