माँ काली के रूप
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भारत में कई देवी देवता हुए । कई आविष्कृत किए गए और उनमें निहित गुणों के आधार पर उनके प्रतीक गढ़े गए जिसके आधार पर हमने उनको और उनके माध्यम से स्वयं को जानने समझने की कोशिश की । हमारी आस्था और भक्ति ने उन प्रतीकों में प्राण प्रतिष्ठा कर उन्हें जीवन्त बना दिया । हर प्रतीक अपने आप में अर्थ को समेटे हुए हैं । और कुछ कहते हैं । भक्तों के लिए तो वह मूर्तियाँ साधना का मार्ग बन गयीं । उन मूर्तियों को गढ़ने में और एक स्वरूप देने के पीछे न जाने कितने वर्षों की साधना और तपस्या छुपी हुई है । जिन चीजों को हम नहीं समझ पाते उनका मजाक उड़ाते हैं या उनसे डरकर चुप रहते हैं ।
कुछ लोग इसी प्रथा का निर्वाह करते हुए इन प्रतीकों से छेड़छाड़ करने लगते हैं । माँ काली के हाथ में सिगरेट धरा देना इसी मजाक का हिस्सा लगता है । इसके क्या मायने हैं मैं नहीं समझ पाता ।
एक स्त्री जो अन्यायी और अत्याचारियों का संघार करती है । उसे सिगरेट पीते दिखाना उनकी मर्यादा को कम करने जैसा है । क्या वह नशे में यह सब करती है ।
या उन्हें नशे का शौक है ?
परंपरागत प्रतीकों से इस प्रकार की छेड़छाड़ हमारी नासमझी की ओर इशारा करती है ।
कृष्ण तवक्या सिंह
05.07.2022