{{{ॐ}}} #मातंगी_मंत्र_साधनावर्तमान युग में, मानव जीवन के प्रारंभिक पड़ाव से अंतिम पड़ाव तक भौतिक आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए प्रयत्नशील रहता है । व्यक्ति जब तक भौतिक जीवन का पूर्णता से निर्वाह नहीं कर लेता है, तब तक उसके मन में आसक्ति का भाव रहता ही है