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रोज़ बढ़ रही हिंसा, ये बढ़ती नाइंसाफी, दोषी बचकर घूम रहे निर्दोष मर रहे काफी, कब होगी बंद ये प्यास खून की, कब जाने ये अंधे जानेंगे कीमत खून की, क्या होगा इस देश का, अन्धकार नज़र आता है, दुश्मन का
मेरा प्यारा भारत देश, सुन्दर निराला तेरा वेश, मस्तक पर श्वेत चन्द्रिका लिए हिम का मुकुट बना लिया, गंगा बना रखी है तूने अपना यज्ञोपवीत, प्राचीन सभ्यता और यहाँ की रीत, मेरे प्यारे देश रहे तेरा
मतवाले है हम आजादी के, सदा चाहते आजादी, जोर जुर्म से टक्कर लेते, हम निडर साहसी, नहीं डरेंगे, डटे रहेंगे आजादी की राह पे हम, मिली हुई इस अनमोल आजादी को, नहीं जाने देंगे कभी, दाग न लगने देंगे
मधुर समय, उल्लास है मन में, मन संग कर रहे नौका विहार, स्वच्छ निर्मल नीला जल, उतरा झील में आसमान, तारामंडल खिल रहा, तैर रहे युगल हंस, कामिनी कर रही उछल कूद, बगुलों बतखों के झुण्ड, मधुर संगी
रात में सन्नाटा जब छा जाता, शान्त वातावरण हो जाता, मन को मिलती शांति, दूर होती अशान्ति, दिनभर थके मान्दे लोग, करते हैं आराम, बन्द हो जाते हैं सब कलकारखाने और काम, जाने लगते सब निद्रा की गोद में