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विमुखता का विकल्प

16 अगस्त 2015

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हमने अपने विशिष्ट शोध में यह पाया है कि आजकल की युवा पीढ़ी भक्ति-मार्ग से निरन्तर विमुख होती जा रही है और इसका कारण है उनका अँग्रेज़ी माध्यम से पढ़ा-लिखा होना। अँग्रेज़ी माध्यम से पढ़ाई करने के कारण वे हिन्दी के भक्ति गीत गाने में अपने आपको असहज महसूस करते हैं। अतः आज की युवा पीढ़ी को भक्ति मार्ग पर चलने के लिए प्रोत्साहित करती हुई भक्ति रस से परिपूर्ण यह कविता जो अँग्रेज़ी भाषी युवा पीढ़ी के लिए विशेष रूप से लिखी गई है- "जय गनेस जय गनेस जय गनेस डेवा... मम्मी हैं मिसेज़ पार्वती, डैडी मेगाडेवा... जय गनेस जय गनेस जय गनेस डेवा... मम्मी हैं मिसेज़ पार्वती, डैडी मेगाडेवा..." टिप्पणी- जब उपरोक्त भक्तिगीत को थोड़ा-थोड़ा बोलना सीख जाएँ तो 'मेगाडेवा' को क्रमशः सुधारकर 'महाडेवा' और फिर 'महादेवा' कर लें और 'गनेस' को 'गणेश' कर लें।
Rajat Vynar

Rajat Vynar

धन्यवाद संगठन जी।

17 अगस्त 2015

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

बहुत ही तीखा किन्तु सटीक लेख .... आभार

17 अगस्त 2015

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चाणक्यगीरी

10 अगस्त 2015
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कालिदास और विद्योत्तमा के विवाह की कहानी से कौन परिचित नहीं है? विद्योत्तमा द्वारा राजमहल से निकाले जाने के बाद की कहानी सिर्फ़ कालिदास के इर्द-गिर्द ही घूमती है, कहीं पर भी साहित्य की प्रकाण्ड विद्वान विद्योत्तमा का ज़िक्र नहीं है। इस प्रकार इतिहासकारों ने विद्योत्तमा के साथ बहुत अन्याय किया। यह कमी

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विमुखता का विकल्प

16 अगस्त 2015
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हमने अपने विशिष्ट शोध में यह पाया है कि आजकल की युवा पीढ़ी भक्ति-मार्ग से निरन्तर विमुख होती जा रही है और इसका कारण है उनका अँग्रेज़ी माध्यम से पढ़ा-लिखा होना। अँग्रेज़ी माध्यम से पढ़ाई करने के कारण वे हिन्दी के भक्ति गीत गाने में अपने आपको असहज महसूस करते हैं। अतः आज की युवा पीढ़ी को भक्ति मार्ग पर चलने

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फटकार

17 अगस्त 2015
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अन्तर्जाल में भ्रमण करते वक्त 'और वह रोती रही...' नामक एक लघुकथा टकरा गई तो हमें विवश होकर उस पर अपनी प्रतिकूल टिप्पणी लगानी पड़ी। हमारी प्रतिकूल टिप्पणी देखकर लेखक महोदय भड़ककर हमसे उलझ गए और उल्टा-सीधा बकने हुए कहने लगे कि हमारे पास भेजा नहीं है। वैसे उन्हें इतना क्रोधित होने की कोई ज़रूरत नहीं थी, क

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चाणक्यगीरी

18 अगस्त 2015
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एक दिन मधुबाला के भेष में मौर्य देश में रह रही अजूबी ने चाणक्य से पूछा- 'मौर्य देश में संदेश भेजने के लिए कबूतरों की कोई कमी नहीं। मगर इन कबूतरों का दबड़ा है कहाँ? मुझे तो आज तक कहीं दिखा नहीं। मौर्य देश के कबूतर एलियन की तरह संदेश लेकर आते हैं और एलियन की तरह गायब हो जाते हैं!'चाणक्य ने मुस्कुराते ह

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कामचोर

26 अगस्त 2015
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कामचोर बिना कपड़े उतारे, बिना साँस फूले-हाँफे, बिना पसीना बहाए, बिना रात-दिन मेहनत किए दूसरों की गाढ़ी मेहनत के फल को 'येन केन प्रकारेण' आत्मसात् करके तथा अपना बताकर एक दिन में चमत्कार करके दिखाते हैं, मगर कामवीर कपड़े उतारकर फूली हुई साँस के साथ हाँफते हुए पसीना बहाकर रात-दिन अनवरत मेहनत करते हैं और त

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विचार-टिप्पण

27 अगस्त 2015
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'फ़िल्मी ज्ञान' श्रंखला में लिखा गया यह लेख पूर्णतः 'देववाणी मुक्त' नहीं है, क्योंकि इसमें हमने संस्कृत के शब्दों का प्रयोग जमकर किया है। कहानी-कविता-लेख और हास्य-व्यंग्य इत्यादि कौन नहीं लिखना चाहता? किसी रचना को पढ़ने के बाद प्रत्येक आम व्यक्ति यही सीना ठोंककर यही कहता है कि 'बस, इतनी सी साधारण रचन

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रक्षाबन्धन पर दो उपयोगी टिप्स

29 अगस्त 2015
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'सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय' लिखे गए इस ज्ञानवर्धक महालेख 'रक्षाबन्धन पर दो उपयोगी टिप्स' को पढ़ने के बाद आपके मुँह से बरबस ही निकल जाएगा- 'वाह! रक्षाबन्धन पर झ्तना उपयोगी और ज्ञानवर्धक लेख आज तक न प्रकाशित हुआ है, न प्रकाशित होगा!!'उपयोगी टिप्स 1. यदि आप प्रेम के मैदान में कूदकर अपनी प्रेमिका को रोज़

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जन्मदिन

4 सितम्बर 2015
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प्रायः लेखकों और कवियों के मित्रों की बड़ी चाँदी रहती है। अपनी गर्लफ्रेण्ड को प्रभावित करने के लिए उसके जन्मदिन से पहले अपने कवि मित्रों का दामन थामकर हाथ-पैर जोड़ने लगते हैं- 'गर्लफ्रेण्ड का जन्मदिन आ रहा है। जन्मदिन पर एक अच्छा सा गीत लिखकर दो, यार। नहीं तो मेरी नाक कट जाएगी। मेरी नाक कटने से अब तुम

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