यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है ,किसी जाति, स्थान व्यक्ति या धर्म किसी से भी अगर मैच करती है तो ,,वह सिर्फ एक संयोग होगा,, कहानी को मनोरंजन की दृष्टि से ही पढ़ें,,
भारत का एक महानगर,, इसकी समुद्री सीमा पर एक छोटा सा गांव ,,,भौगोलिक दृष्टि से ऐसा की आसानी से कोई वहां पहुंच भी नहीं पाता ,,,शासन-प्रशासन वहां जाने से वैसे ही बचता है ,,,क्योंकि एक तरफ है विशाल समुंद्र तो ,,,दूसरी तरफ से विशाल जंगल ,,,एक तरफ ऊंची पहाड़ियां है तो,, एक तरफ विशाल नदी ,,,और बीच में सिर्फ एक छोटा सा गांव ,,अब इसे गांव कहे या आदिवासी कबीला,, इस पर भी सवाल ही उठते आए हैं,,, क्योंकि हर आधुनिक हथियार और समान इन लोगों के पास है ,,और यहां के लोग अपराध से गले तक डूबे हुए हैं ,,उन्हें भारत सरकार के कानून व्यवस्था से कोई मतलब नहीं,,, उन्हें मतलब है सिर्फ गोल्ड से सोना और हर अपराध के लिए, वे थोड़ा पैसा और ज्यादा सोना ही लेते हैं ,,,
इस गांव के बूढ़े से लेकर बच्चे ,,औरतों से लेकर लड़की तक,, अपराध करने से पीछे नहीं हटते,, और इन्हे अपने शिकार का बहता खून देखना ,,बहुत पसंद आता है,,,
और जिस काम को यह ,अपने हाथ में ले लेते हैं, उसे पूरा करके ही मानते हैं,
और इस गांव में अभी किसी एक की बात करना, बेईमानी ही होगा, क्योंकि सभी अपने आप को शेर समझते हैं ,और अपने कस्टमर को अपनी तरफ खींचने के लिए, अपने अपराधों की गिनती करवाते रहते हैं, और इनके कस्टमर है भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले ,इस महानगर के वे धन्ना सेठ जो ,अपने हाथ साफ रखते हैं, पर अपराध बहुत बड़े-बड़े करवाते हैं, सिर्फ अपने पैसे के बल पर,,
अजय सक्सेना , बार में बैठा, काफी परेशान नजर आ रहा था, और एक के बाद एक पेग लगाए जा रहा था,
विनय , "अरे यार टेंशन क्यों लेता है ,अगर इतना नुकसान तेरा उसने कर दिया है तो, तू थोड़ा सा और नुकसान करा ले"
अजय , शराब के नशे में , " क्या बकता है बे,, और नुकसान करवा लूं ,,पहले ही कर्जा सर पर चल रहा है ,,और यही हालत रही तो ,बहुत जल्दी सब मिट्टी में मिल जाएगा ,समझ में नहीं आता ,अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए मैं इतना कुछ कर रहा हूं, पर वह साला अनिरुद्ध, हर बार बाजी मार ले जाता है"
विनय , "तो फिर उसे हटा दे ना रास्ते से ,और अभी उसका व्यापार संभालने वाला कोई है भी नहीं ,,डूब जाएगा सब व्यापार उसका,, और फिर तुम अपना कारोबार ,क्षेत्र में जमा लेना"
अजय , "और अगर हम पकड़े गए तो"
विनय , "तू उसकी टेंशन मत ले ,मैं ऐसे लोगों को जानता हूं, जो क़त्ल इतनी सफाई से करते हैं कि, किसी को पता भी नहीं लगेगा"
अजय , "और पैसा कितना देना पड़ेगा"
विनय , "ज्यादा नहीं,, चार लाख का सोना ,,एक लाख कैश बस"
अजय , "तो ठीक है,, मैं दे दूंगा, तू मेरा यह काम करवा दे"
एक सेठ दूसरे सेठ की कत्ल की सुपारी देने के लिए तैयार हो गया था ,और शायद गलत लोगों का साथ, शराब का नशा, इंसान को ऐसे ही बर्बादी की तरफ ले जाता है ,,जिस रास्ते पर आज अजय चला गया था,,
और 3 दिन बाद,,,
रात 10:00 बजे ,,अनिरुद्ध अपने ऑफिस से निकल कर, पार्किंग में खड़ी ,अपनी कार में ही बैठा था की पिछली सीट से किसी ने ,उसकी गर्दन पर चाकू रख दिया था,,
" सेठ हल्ला किया तो, गर्दन अलग,,, गाड़ी का सीधा शहर से बाहर ले ले"
अनिरुद्ध , "कौन हो तुम,, और क्या चाहते हो"
"क्या करोगे जान के सेठ, जैसा कहा वैसा करो,, गाड़ी को शहर से बाहर ले लो"
अनिरुद्ध गाड़ी को कांपते हाथों के साथ,, शहर से बाहर की तरफ बढ़ा ले चलता है,,,
रात 10:00 बजे , शहर की सड़कें, गाड़ियों से भरी पड़ी थी, पर किसी का भी ध्यान ,अनिरुद्ध की गाड़ी पर नहीं था, अगर होगा भी तो, कोई ध्यान दे नहीं रहा होगा , गाड़ी के अंदर की सिचुएशन पर,,
या फिर आज,, इस महानगर की सड़क पर कोई और भी था,, जिसकी आंखों से अपराध और अपराधी बच नहीं सकता था,
और गाड़ी जैसे ही ,चौराहे से, शहर से बाहर के रास्ते पर मुड़ी, एक नवयुवक की नजर, उस गाड़ी पर और खूंखार इरादे लिए, पिछली सीट से आगे को झुके इंसान पर पड़ जाती है ,और उसकी आंखें किसी ,अनहोनी के कारण हल्की सी सुकड़ जाती है, और वह समझ जाता है कि ,उस गाड़ी के अंदर कुछ गड़बड़ है,
और वह भी चौराहे से ,उसी गाड़ी के पीछे ,अपनी गाड़ी मोड़ देता है,,
नवयुवक , " कहीं गाड़ी में ही, उसके साथ कोई अनहोनी ना हो जाए ,मुझे गाड़ी को रुकवा ना होगा,," और नवयुवक तेज रफ्तार से गाड़ी उसके आगे खड़ी कर देता है ,अनिरुद्ध को एक झटके से ब्रेक लगाने पड़ते हैं ,जिसके कारण पीछे सीट पर बैठा गुंडा भी ,एक पल को अपना बैलेंस खो बैठता है, और अनिरुद्ध तेजी से, दरवाजा खोलकर बाहर उतर जाता है,,,
गुंडा , अनिरुद्ध की इस हरकत से ,और ज्यादा बौखला जाता है ,और चिल्लाते हुए बाहर निकलता है,,,
पर अब अनिरुद्ध और उस गुंडे के बीच में, वह नवयुवक खड़ा था ,कार की हेडलाइट ने उसे ,अपने प्रकाश से उसे नहला दिया था,,
नवयुवक, " घबराने की कोई जरूरत नहीं है ," और अनिरुद्ध को अपने पीछे कर लेता है,,,
गुंडा, " अबे तू कौन है ,,क्या तुझे फ्री में मरने का, शौक चढ़ गया जो हमारे बीच में आ रहा है,, पर अब तुझे भी मरना ही होगा ,क्योंकि तूने मुझे देख लिया है ,और अगले ही पल अपनी कमर के पीछे से ,एक विदेशी पिस्टल निकाल लेता है, जिसमें साइलेंसर लगा हुआ है,,,
और अनिरुद्ध को निशाना बनाकर ,ट्रिगर दबा देता है, चार पांच गोलियां एक साथ, रिवाल्वर से निकल गई थी ,पर कोई भी अपनी मंजिल तक, पहुंच नहीं पाई,,,
नवयुवक ,"यह लो ,,,दोबारा से डाल लो ,रिवाल्वर में,,,, शायद इस बार तुम सफल हो जाओ ," और उसने अपनी मुट्ठी में बंद सभी गोलियां, उस गुंडे की तरफ हवा में उछाल दी थी
गुंडे , को तो कुछ समझ ही नहीं आया ,आखिर हुआ क्या,, उसका हाथ फिर से सीधा हुआ,, और ट्रिगर पर दब गया,, और बची कुची 8-10 गोलियां भी, इस वक्त नवयुवक के हाथ में थी,,,,
अनिरुद्ध , "यह,,, क्या हो ,,,रहा है,,," उसे समझ नहीं आया, गोलियां चली भी थी, पर गोलियां गई कहां,,,
नवयुवक , "कुछ नहीं ,शायद नकली गोलियां ले आया है गलती से"
अनिरुद्ध, " उसके पास,,, शिकारी चाकू ,,,भी है"
नवयुवक, " हां ,मैंने भी देखा है, अब यह शायद उसी से हमला करेगा"
गुंडा रिवाल्वर को अपनी कमर में डालता है ,और वहां से अपना चाकू बाहर निकाल लेता है,,,
गुंडा ,"मैं किलर वैली का गुंडा हूं, हम जो काम हाथ में लेते हैं, उसे पूरा करते ही हैं,, और वह किसी बंदर की तरह गुलाटिया मारते हुए ,नवयुवक के एकदम पास आ पहुंचा ,और उसका शिकारी चाकू ,तेजी से नवयुवक के पैरों को काटने के लिए बड़ा,,
पर नवयुवक तब तक, अनिरुद्ध को लेकर 10 कदम, पीछे हट चुका था।
गुंडा , "अरे अभी तो यही था ,अभी इतनी पीछे कैसे चले गया"
नवयुवक, " आप जरा पीछे ही रहना, मैं इससे निपट कर आता हूं",,
नवयुवक , " उस गुंडे के पास आता है ,,,"चलो आओ ,थोड़ा सा अभ्यास करते हैं"
गुंडा , बिल्कुल किसी जंगली हमलावर की तरह ,अत्यंत आक्रमण हो उठता है,, शिकारी चाकू को इतनी कुशलता से और इतनी खतरनाक तरीके से चला रहा था कि ,अब तक 25- 30 लोग भी होते तो ,शायद उन्हें भी वह, गाजर मूली की तरह काट चुका होता , पर अभी तक उसका हर वार, हवा में ही घूम रहा था, अपने सामने वाले शख्स को, छू भी नहीं पाया था,,,
नवयुवक, " शायद तुम्हें चलाना नहीं आता,, लाओ मुझे दिखाओ ,,मैं तुम्हें बताता हूं ,कैसे चलाते हैं ,"और उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ जाती है,,,
गुंडे के माथे पर ,पसीने की बूंदे आ गई थी और वह फिर से, हमला करने के लिए ,अपने आपको तैयार करता है ,और एक बार फिर, पूरी ताकत और फुर्ती से ,नवयुवक पर टूट पड़ता है,,
पर इस बार भी ,होता वही है ,जो पिछली बार हुआ ,उसके सब वार असफल हुए ,और उसकी आंखों में , क्रोध और हिंसा एक अलग ही रूप में भड़क उठी,,,,
गुंडा ,एक पल नवयुवक की आंखों में देखता है ,और उसके चेहरे पर हिंसक मुस्कान आ जाती है,, और तकरीबन 35 -40 फुट दूर खड़े, अनिरुद्ध को तिरछी नजरों से, देखता है,,
नवयुवक , " कोई बात नहीं,, तुम फिर से प्रयास कर सकते हो, पर यह तुम्हारा आखिरी मौका होगा"
गुंडा , "मैंने जो काम हाथ में लिया है ,उसे तो मैं पूरा करके ही जाऊंगा ,,,," और उसकी बलिष्ट भुजाओ ने ,,पूरी ताकत से अपने हाथ में थामे ,शिकारी चाकू को ,अनिरुद्ध की तरफ फेंक मारा,,,
नवयुवक भी, उसकी इस हरकत से, एक पल हो तो सहम गया,,,
पर अगले ही पल ,गोली की रफ्तार से ,अनिरुद्ध की तरफ बढ़ते हुए शिकारी चाकू को, ठीक उसके दिल के पास, कैच कर लिया,,,
अनिरुद्ध की तो आंखें,, डर और दहशत से ,सहम गई थी, और एक पल को वह नवयुवक को देखता है ,,और दूसरे पल , उसके हाथ में थमें उस शिकारी चाकू को,,,,
अनिरुद्ध , " आ,,आ,प ,,तो वहां लड़ रहे थे,, यहां,, कै,,से आ गए,, इत,,नी जल्दी" उसके गले के शब्द भी ,,टूट फूट कर बाहर निकल रहे थे,,,
नवयुवक , " जल्दी,,, नहीं तो,, शायद तुम्हें कोई गलतफहमी हो गई है,,, तुम घबराओ मत,, मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा,," और मुस्कुरा कर ,उसका हौसला बढ़ाता है,,
और फिर से, उस गुंडे की तरफ पलटता है ,,पर वहां कोई भी नहीं था ,,शायद उसे समझ में आ चुका था कि ,,वह अब नहीं जीत सकता,, और उस घने अंधेरे का फायदा उठाकर,, वहां से रफूचक्कर हो गया था,,,,
अनिरुद्ध , "वहां तो अब ,कोई ही नहीं है ,,लगता है वह हत्यारा भाग गया,," और अपने माथे का पसीना ,साफ करता है,,
नवयुवक , अंधेरे में हर तरफ नजर घुमाता है ,पर उसे कोई नजर नहीं आता ,,और अपने माथे पर, हल्की सी चपत लगाता है ,,,
" और कर बेवजह ,हत्यारे के साथ अभ्यास ,,पहले ही उस पर काबू पा लेता तो ,ज्यादा अच्छा होता ,,,पर जो भी था,,, था जबरदस्त फाइटर"
अनिरुद्ध , "किस सोच में डूब गए ,,चलो अब ,निकलो यहां से,, कहीं वह फिर से ,दोबारा ना आ जाए ,हमें जल्द से जल्द पुलिस स्टेशन पहुंचना होगा, और इसकी रिपोर्ट लिखानी होगी"
नवयुवक ,"हां ,,चलो ,,"और अनिरुद्ध अपनी गाड़ी में बैठ कर गाड़ी स्टार्ट करके ,फिर से शहर की तरफ घुमा लेता है,,
अनिरुद्ध ,अभी भी काफी घबराया आया हुआ था,, और वह जल्द से जल्द ,पुलिस स्टेशन पहुंचना चाहता था,,
नवयुवक भी, उसकी गाड़ी के पीछे ,अपनी गाड़ी लगा देता है, और तभी वह गुंडा, पिछली सीट से निकलकर, तेजी से विक्रांत के गले में, पतला वायर डालने वाला होता है की, विक्रांत एक जबरदस्त मुक्का,, उसके माथे पर रसीद कर देता है ,,और वह पिछली सीट पर ही, बेहोश होकर लुढ़क जाता है,,,,
और तभी,,, उस के कान मैं पहनी ,ईयर रिंग में एक आवाज गूंजती है,,,
"हम सब इंतजार कर रहे हैं,, कितनी देर में पहुंच रहे हो,,,
,,,,,,,, विक्रांत
क्रमशः
कौन कर रहा है इंतजार,, और क्या होगा मिशन,,
तो फिर चलते हैं ,विक्रांत के साथ एक, तूफानी सफर पर ,बने रहे कहानी के साथ,,,,