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अपनी अपनी सुरंगों में कैद

19 अगस्त 2018

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व्यंग्य

अपनी अपनी सुरंगों में कैद


विवेक रंजन श्रीवास्तव

थाईलैंड में थाम लुआंग गुफा की सुरंगों में फंसे बच्चे और उनका कोच सकुशल निकाल लिये गये. सारी दुनिया ने राहत की सांस ली .हम एक बार फिर अपनी विरासत पर गर्व कर सकते हैं क्योकि थाइलैंड ने विपदा की इस घड़ी में न केवल भारत के नैतिक समर्थन के लिये आभार व्यक्त किया है वरन कहा है कि बच्चो के कोच का आध्यात्मिक ज्ञान और ध्यान लगाने की क्षमता जिससे उसने अंधेरी गुफा में बच्चो को हिम्मत बधाई , भारत की ही देन है .अब तो योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल चुकी है और हम अपने पुरखो की साख का इनकैशमेंट जारी रख सकते हैं . इस तरह की दुर्घटना से यह भी समझ आता है कि जब तक मानवता जिंदा है कट्टर दुश्मन देश भी विपदा के पलो में एक साथ आ जाते हैं . ठीक वैसे ही जैसे बचपन में माँ की डांट के डर से हम बच्चों में एका हो जाता था या वर्तमान परिदृश्य में सारे विपक्षी एक साथ चुनाव लड़ने के मनसूबे बनाते दिखते हैं . वैसे किशोर बच्चो की थाईलैंड की फुटबाल टीम बहुत भाग्यशाली थी , जिसे बचाने के लिये सारी दुनिया के समग्र प्रयास सफल रहे .वरना हम आप सभी तो किसी न किसी गुफा में भटके हुये कैद हैं . कोई धर्म की गुफा में गुमशुदा है .सार्वजनिक धार्मिक प्रतीको और महानायको का अपहरण हो रहा है .छोटी छोटी गुफाओ में भटकती अंधी भीड़ व्यंग्य के इशारे तक समझने को तैयार नही हैं . कोई स्वार्थ की राजनीति की सुरंग में भटका हुआ है . कोई रुपयो के जंगल में उलझा बटोरने में लगा है तो कोई नाम सम्मान के पहाड़ो में खुदाई करके पता नही क्या पा लेना चाहता है ? महानगरो में हमने अपने चारो ओर झूठी व्यस्तता का एक आवरण बना लिया है और स्वनिर्मित इस कृत्रिम गुफा में खुद को कैद कर लिया है . भारत के मौलिक ग्राम्य अंचल में भी संतोष की जगह हर ओर प्रतिस्पर्धा , और कुछ और पाने की होड़ सी लगी दिखती है , जिसके लिये मजदूरो , किसानो ने स्वयं को राजनेताओ के वादो ,आश्वासनो, वोट की राजनीति के तंबू में समेट कर अपने स्व को गुमा दिया है . बच्चो को हम इतना प्रतिस्पर्धी प्रतियोगी वातावरण दे रहे हैं कि वे कथित नालेज वर्ल्ड में ऐसे गुम हैं कि माता पिता तक से बहुत दूर चले गये हैं . हम प्राकृतिक गुफाओ में विचरण का आनंद ही भूल चुके हैं . मेरी तो यही कामना है कि हम सब को प्रकाश पुंज की ओर जाता स्पष्ट मार्ग मिले , कोई गोताखोर हमारा भी मार्ग प्रशस्त कर हमें हमारी अंधेरी सुरंगो से बाहर खींच कर निकाल ले .

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