यादें..
ईश्क का मौसम युँही चला,
दिल मेरा हिल ही गया,
आँखों के समंदर मैं उतर ही गए,प्रित के रंग मैं रंग ही गए,
क्या हया क्या शर्म सब पीछे छूट गया,आपकी चाहत में
हम फना हो गए।
बातें आपकी दिल मैं खंजर
बनके चुब रही हैं,ए बारिश की बुंदे दिल जलावे,तन मन,
मैं आप बसे,दिल सिस्कियाँ ले रहा,यादों आपकी रातें गुजर गई।
शैमी ओझा "लफ्ज़"