प्यार की गहेराई
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मैं आपकी चाहत मैं
जोगनियाँ हो गई,
आपकी मुस्कान दिल में
युही तीर की तरह चुब सी गई,
आपकी बातों में कुछ तो था,
पर आप लफ्जों से न बल्कि
आँखो से बोल रहे थे।जो दिल
सुनने के लिए तरस रहा था,
हम आपकी चाहत में
जोगनिया बन गए,
बारिश कि बुंदे रिमझिम बरस रही थी,मेरा दिल आपके खयालों मैं बरस रहा था,
पवन कि लहरों ने छुआ,
तो मानो जेसे आपका पयगाम
आया न हो,हम सँवरने लगे,
बादलों से आप बारे मैं बातैं किया करते थे,ओ हमसफर तन्हाई मैं आपको याद किया करते थे।आपकी चाहत में जोगनियाँ बन गए।
शैमी ओझा "लफ्ज़"