27 जनवरी 2015
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कौन सुनेगा, किसको सनाये, इसलिए चुप रहते हैं D
ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये चंचल हवा कहा दो दिलों ने, की होंगे न मिल कर, कभी हम जुदा ये रातें, ये मौसम, नदी का किनारा, ये... चंचल हवा
पठान अपने ससुराल गया तो उसकी सास ने बड़े ही अदब से पूछा, "जमाई जी, क्या बैँगन शरीफ पका लूँ या आप आलू मोहतरम खाना पसंद करेंगे?" पठान: मैं तो गुनहगार बंदा हूँ, इनके काबिल कहाँ.. आप कोई बेगैरत सा मुर्गा पका लें।