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यूँही बारिश में कई नाम लिखे थे

26 जुलाई 2016

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यूँही  बारिश  में  कई  नाम  लिखे  थे ,

अपने  हाथों  से  कई  पैगाम  लिखे  थे 

अब  तक  जमी  हैं  वो  यादों  की  बुँदे ,

जिनके  आगोश  में , सुबह  शाम  लिखे  थे ,

                                         

आज  तनहा  हूँ  मै  तो  ये  सोचता  हूँ ,

अपने  अकेलेपन  से  यही  पूंछता  हूँ ,

कहाँ  हे  वो  जिसकी  खातिर  हमने ,

जमाने  के  कई  गुलफाम   लिखे  थे .

 

जिंदगी  की  तो  मगर  ये  कहानी  पुरानी  है ,

कल  कोई  और  था  इसके  पैमाने  पर ,

आज  "अनुपम " की  ये  कहानी  है  ,

कोई  लाख  भुलाए  पर  केसे  भूलेगा ,

जिसे  देखकर  मोहब्बत  के  इम्तिहान  लिखे  थे .

 

 यूँही  बारिश  में  कई  नाम  लिखे  थे........... 

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