"मैं क्या कहूँ खुद के बारे में, एक परिंदा हूँ घर की आश में अरसे से प्यासा हूँ,एक बूँद की तलाश में तमन्नाएं डगमगाती हैं, होंसलों को आजमाती हैं मगर मैं हूँ खड़ा,गिनने ,खुदको तमाम खाश में" मैं अनुपम चौबे मेरी हमेशा से एक ही तमन्ना है कि मैं कुछ एसा करूँ कि जिससे सभी का भला हो और जिसे करते हुए मुझे गर्व हो कि कुछ किया जो लोग कह सकेंगे हाँ यार बन्दे में कुछ बात तो है मैं बस इतना जनता हूँ की मैं हार नहीं मानूंगा चाहे वक़्त कितना भी लग जाए चाहे कठिनाई कितनी भी आए बस आप लोगों का थोडा मार्ग दर्शन और थोडा साथ चाहिए बाकी उपर बाले पर और खुद पर इतना विश्वाश है कि एक दिन कुछ एसा ही करूँगा जेसा मैंने सोचा है.............