ज़िंदा गई जलाई
कुछ तुमसे पूछने आयी!
हाँ भी न पूछा
ना भी न पूछा
कोमल जंघाओं का मर्दन करके
स्त्रीत्व का अपरदन करके
जिंदा गई.....
जबरन काबू में करके
भांग पिलाक़े
रंगीन बनाके
यौन कुंठा का शिकार बनाया
जिंदा गई.......
प्रेम के जगह वासना मिली
प्रेमी के जगह भेड़िया मिला
विश्वास के जगह धोखा मिला
नर के जगह मादाभक्षी मिला
जिंदा गई.....
प्रथा के नाम सती बनाई गई
स्तन ढकने से वंचित की गई
'देवदासी' बनाके बेंची गई
जन्म से अपवित्र बताई गई
ज़िंदा गई....
दहेज के लिए
बेटे न पैदा करने के लिए
बेटीयाँ पैदा करने के लिए
मशीन गई बनाई
ज़िंदा गई.....
कॉलेजों में वीर्य भरे गुब्बारों से मारी गई
ज़बरन रंगों में अन्तरतक रंगी गई
पति से मरी पहले तो सुहागन,भाग्यशाली कहलाई
बाद में मरी तो अभागन,डायन कहलाई
ज़िंदा गई.....
हे!कुंठित
उदर में दंत वाले
असभ्यता के दंश
हलाहल से कोलाहल नश्वर काया
ज़िंदा गयी जलाई
कुछ पूछने तुमसे आयी!
सञ्जय'क्रांति'