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"त्रिभंगी छंद"

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त्रिभंगी छंद [सम मात्रिक] ◆* विधान~ {4 चरण,प्रति चरण 32 मात्राएँ, प्रत्येक में 10,8,8,6 मात्राओं पर यति, प्रथम व द्वितीय यति समतुकांत, प्रथम दो चरणों व अंतिम दो चरणों के, चरणान्त परस्पर समतुकांत तथा जगण वर्जित,प्रत्येक चरणान्त में गुरु(2), चरणान्त में दो गुरु होने पर यह छ

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