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“मुक्तक” माँ जगत की अन्नदाता भूख को भर दीजिये।

hindi articles, stories and books related to “muktak” maa jagat ke anndata bhuk ko bhar dijiye।


“मुक्तक” माँ जगत की अन्नदाता भूख को भर दीजिये। हों सभी के शिर सु-छाया संग यह वर दीजिये। उन्नति के पथ डगर पिछड़े शय शहर का नाम हो- टप टपकती छत जहाँ उस गाँव को दर दीजिये॥-१ माफ कर जननी सुखी सारे सिपाही आप के। बेटियों की हो रहीं कैसी बिदाई माप के। जी रहें अंधेर में बिजली चिढ़ा

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